SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गइयाइसु गाहाए मग्गणठाणेसु बंधसामित्तं । अइदेसानेयमहो नाणस्सेमाइ गाहाणं ||२१०॥ जुयलस्स उ भावत्थो कम्मत्थयवित्तिओ फुडं नेओ। अह साइयाइगाहा भावत्थं संपवक्खामि वेयणीय(याउ)रहियछक्कम्मगस्स साई अणाइधुवअधुवो। चउविहबंधो तेसिं पंचण्डं मोहरहियाणं ॥ २१२ ।। उवसंतो नो बंधं करेइ सुहुमो उ मोहणीयस्स। दसिगारसगुणिगाऊ छक्कम्मअबंधगाहोउं ॥ २१३ ॥ तो आऊक्खयठीईखएण वा परिवडित्तु जो पुणवि। ताणि कम्माई बंधइ साईबंधो हवइ तस्स ॥ २१४ ।। दसिगारसगुणठाणं अपत्तपुव्वाण णाइबंधो त्ति । अभब्वजियाण धुवो अधुवो भव्वाण बंधते ।। २१५ ।। साईबंधो तइए न घडइ सो जेण बंधवुच्छेए । घडई तबंधविगमो अजोगिणो हवइ नण्णत्थ ॥ २१६ ॥ तस्स पडिवायअब्भावओ य नो घडइ साइबंधो त्ति । सेसा घडंति तब्भावणा य तिण्हं पि सुगमेव ॥ २१७ ॥ आउम्मि साइबंधो तस्स हि वेइज्जमाणआउस्स । निय एव तिभागाई काले बंधो उ नोऽणाई ॥ २१८ ।। अंतमुहुत्ता उवरिं बंधाभावाउ अधुवबंधो त्ति । न धुवो अओ य भणियं अणाइधुवसेसओ आऊ ॥ २१९ ॥ एतोत्तरासु सायाइवत्रणं तत्थ ताव धुवअधुवा । जहसंखं सगचत्ता तिवत्तरी विय इमा ताओ ॥ २२० । धुवबंधी भय कुच्छा कसाय मिच्छंतराय आवरणा । वण्णचउ तेयकम्मा गुरुलहु निमिणोवघाया य ॥ २२१ ॥ ૪૨ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy