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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ।। १९८॥ ॥ १९९॥ ॥ २०० ॥ ॥ २०१॥ ॥ २०२ ॥ ॥ २०३ ॥ कोइ इगपसइमाणो अवरो दुतिपसइमाणओ होइ। एवं इह कम्मं पि हु सण्णाणावरणमाईहिं बहुपुग्गलेहि जणियं पयईण किंचि नाणमावरेइ । किंची दंसण किंची सुहदुक्खे जणइ एमाई ठिइए तंपिय तीसं कोडाकोडाइ कालपरिमाणं । अणुभावेणं तं पिहु इगदुट्ठाणगतिठाणाई मंदयरमंदतिव्वाइरसजुयं तं पि किल पएसेहिं । अप्पबहुपएसेहिं निप्फण्णं होइ कम्मं तु अह पढमं वत्तव्वो पयडियबंधो तहिं च चत्तारि । अणुओगदुवाराइ तहिं पढमं पयडिवण्णणया दुइयं सायाइपरूवणा उ तइयं तु भूयकाराइ । वण्णणया तह तुरियं सामित्तपरूवणा चेव इइ पनरसगाहाहि भणिस्सइ य तत्थ पयडिबंधम्मि। नाणाइगाह जुयलेण मूलपयडीण वण्णणया साइगाहाए सायाइ वण्णणा मूलपयडिबंधस्स । उत्तरइयगाहाए उत्तरपयडीण सा नेया तह मूलपयडिबंधो बंधठाणेसु भूयकाराइ । वण्णणया चत्तारि य इमाएँ गाहाएँ नायव्वा एगादहिगे गाहा अण्णकइ कयत्ति होइ नायव्वा । उत्तरपयडिसु बंध--ट्ठाणेसुं भूयकाराइ वण्णणया तिण्णि दसि -च्चाईगाहाएँ तह य सव्वासि । एमाई गाहाणं जुयलेणं बंधसामित्तं भणियं सोलस इच्चाइ गाहपणगेण बंधवुच्छेओ। पयडीण गुणेसुं वण्णिओ त्ति आहेण अह भणइ । २०४॥ ॥ २०५ ।। ॥ २०६ ।। ॥ २०७॥ ।। २०८ ॥ ॥ २०९ ॥ ४१ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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