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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ॥ १६५ ॥ दसमाइसु तिसु पंच उ मोहाऊवेयरहिय तह खीणे । जोगिम्मिय दो गोयं नामं च अजोगि नोदीरे मिच्छाइयगाहाए अट्ठ उईरंति इइ च वुत्ते वि । मीसस्सविहोदीरणा व न हु होइ सत्तविहा मिस्से मिस्सत्तेतर (मिस्सा मिच्छत्तेत्तर) मुहुत्तमेत्ते व एई आउम्मि सत्तविह उदीरणया आवलिमेत्ता कहं तत्थ आवलियाए अद्भाविसेसणा नामठवणमाईणं । आवलियाण वुदासेण एत्थ कालावली गब्भा बंधाइतिगं भणियं अह एत्थणुपुव्विए गुणेसुं पि । तिण्हं पि य संजोगी इयदारं पभणई तत्थ ॥ १६६ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अज्जोगिरियावहियं सायावेयं पि नेव बंधेइ । आसण नियडवत्ती पुरक्खडो सम्मुहो य कओ संतो मोक्खो जेणं सो आसण्णपुरक्खडो संतो । वुच्च पुरक्खडो इह सद्दे ओ (उ) लक्खणविहीणो इरियावहमाउत्ता सजोगिखीणोवसंतगा भणिया । जोगि च खीवसमा सग वेयोदीरणाए उ जोगी दो खीणो पुण आवरणदुगम्मि विग्घपणगम्मि | आवलिया अपविट्ठे पण तदुवरि दुण्णुदीरेइ संसारगयम्मित्तिय संसारभमणविसयम्मि भयणिज्जा । उवसंतो संसारी, सजोगि खीणा असंसारी सुमो वेगो इह सुक्कज्झाणेण डहइ कम्मं ति । जं वृत्तं तं आसण्णवीयरागत्तणमवेक्ख दट्ठव्वमण्णा ऊ सुहुमस्स उ धम्मझाणमेवेगं । होई एवं पुण गुरुयचुणिभिप्पायओ वृत्तं ३८ For Private And Personal Use Only ॥ १६४ ॥ ॥ १६७ ॥ ॥ १६८ ॥ ॥ १६९ ॥ ॥ १७० ॥ ॥ १७१ ॥ ।। १७२ ।। ॥ १७३ ॥ ।। १७४ ॥ ॥ १७५ ॥
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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