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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ऊसुगभावनियत्तो एयम्मि मयम्मि होइ अपमत्तो । तम्हा जुत्ता अपमत्तयाण वेउव्व आहारा एगम्मि वि जोगगुणे जोगा सत्तेव हुंति पुव्वुत्ता । गुणठाणगे एवं इय जोगविही इमो नेओ जप्पच्चइओ बंधो इइ दारं इय पयम्मि किर जेहि । सामण्णपच्चयेहि ऊहिं कारणेहिं इइ अट्ठण्ह वि कम्माणं बंधो एक्केक्यम्मि गुणठाणे | होइ इइय वयणाणं अज्झाहारेण इय पुण्णं एयद्दारस्स पयं होइ तहा उणो य किर दुविहा । सामण्णा य विसेसा होइ जहा इइ दारे तु Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अहं कम्माणं विसेसओ बंधहेउ ( णन्तरञ्च )। पडणीयमंतराय इच्चाईहि उ गाहाहि वणिज्जस्संति तओ इह सामत्था उ लब्भई एवं । सामण्णबंधऊ अट्टह वि एत्थ कम्माणं गुणद्वाणे इह भणियव्वं ति तो इमं भणइ । चउपच्चइओ बंधो इच्चाईगाहजुयलं ति सामण्णबंधहेऊ मिच्छत्तं अविरई कसाया य । गाय तत्थ पढ गुणम्मि चउपच्चओ बंधो मिच्छारहिओ उ उवरिम-गुणतिगे पंचमे तिपच्चइओ । किंतु तर्हि जो दुहओ हेऊ सो मीसओ होइ जेण किर पंचमगुणं विरयाविरयं तओ इमं भणियं । मीसगबीओ तिचक्कसायजोगाभिहा हेऊ हुति पुण्णा जहसंभवेण छट्ठाइसुहुमयंतेसु । तिचउत्था दो हेऊ तिन्हं उवसंतभाईणं ३५ For Private And Personal Use Only ॥ १२८ ॥ ॥ १२९ ।। ॥ १३० ॥ ॥ १३१ ॥ ॥ १३२ ॥ ॥ १३३ ॥ ॥ १३४ ॥ ॥ १३५ ॥ ॥ १३६ ॥ ॥ १३७ ॥ ॥ १३८ ॥ ।। १३९ ।।
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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