SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 326
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ।। ६०८ ॥ ॥ ६०९॥ ॥ ६१० ॥ ॥६११ ॥ ॥६१२ ॥ ॥ ६१३॥ तं चेव य सोहिज्जा माणुसखित्तस्स परिरया सेसं। जावंतावेहि गुणं, बाहिरखेत्तस्स विक्खंभो अद्रुत्तीसं लक्खा, कोडी चउहत्तरी सहस्सा य। पंच सया पण्णट्ठा, विसुद्धसेसं हवइ एवं पण्णट्ठि सहस्साई, चत्तारि सया हवंति छायाला । तेरस चेव य अंसा, बाहिरओ भरहविक्खंभो चुलसीया सत्त सया, एगट्ठि सहस्स दोण्णि लक्खा य । अंसा वि य बावण्णं, हेमवए बाहिविक्खंभो सयमेगं छत्तीसं, सीयाल सहस्स दस य लक्खाई। अट्ठहिया दोण्णि सया, भागा हरिवासविक्खंभो सीयाला पंच सया, अडसीइ सहस्स लक्ख ईयाला । छण्णउयं अंससयं, विदेहविक्खंभबाहिरओ वासविहूणं खित्तं, दुसहस्सूणं तु पुक्खरद्धम्मि। जावंतावेहि गुणं, चुलसीइहियम्मि गिरिवासो दसहिय बायाल सया, चोयाल कला य चुल्लहिमवंते। बीए कलट्ठ सोलस, सहस्स बायाल अट्ठ सया सत्तट्ठि सहस्साई, तिण्णेव सया हवंति अट्ठट्ठा । बत्तीस कला निसहे, विक्खंभो पुक्खरद्धम्मि अहवा धायइदीवे, जो विक्खंगो उ होइ उ नगाणं । सो दुगुणो नायव्वो, पुक्खरद्धे नगाणं तु वासहरा वक्खारा, दहनइकुंडा वणा य सीयाए । दीवे दीवे दुगुणा, वित्थरओ उस्सए तुल्ला उसुयारजमगकंचण-चित्तविचित्ता य वट्टवेयड्डा । दीवे दीवे तुल्ला, दुमेहला जे य वेयड्ढा ॥६१४ ॥ ॥ ६१५ ॥ ॥ ६१६ ॥ ॥ ६१७॥ ॥ ६१८ ॥ ।। ६१९ ॥ 396 For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy