SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 325
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ५९९॥ वासहरविरहियं खलु, जं खित्तं पुक्खरद्धदीवम्मि । जावंतावेहि गुणं, भय दोहिं सएहिं बारेहि ॥ ५९६ ॥ ईयालीस सहस्सा, पंचेव सया हवंति गुणसीया। तेवत्तरमंससयं, मुहविक्खंभो भरहवासे ॥ ५९७ ।। उणवीसा तिणि सया, छावट्ठि सहस्स सयसहस्सं च । अंसा वि य छप्पण्णं, मुहविक्खंभो उ हेमवए ॥ ५९८ ॥ सत्तत्तर दोण्णि सया, छावट्ठि सहस्स सयसहस्सं च। अंसा वि य छप्पण्णं, मुहविक्खंभो उ हरिवासे अट्ठत्तरसयमेगं, एगट्ठि सहस्स लक्ख छव्वीसं । अडयालीसं अंशा, मुहविक्खंभो विदेहस्स ॥ ६०० ॥ तं चेव य सोहिज्जा, पुक्खर अद्धद्ध परिरया सेसं । जावंतावेहि गुणे, मज्झे खित्ताण विक्खंभो ।। ६०१॥ सत्तावीसा चउरो, सया उ सत्तरस सयसहस्सा य । एगा य होइ कोडी, पुक्खरअद्धद्धपरिहीओ ।। ६०२॥ कोडी तेरस लक्खा, चोयाल सहस्स सत्त तेयाला । पुक्खरवरस्स मज्झे, धुवरासी एस नायव्वो ॥६०३ ॥ तेवण्णं च सहस्सा, पंच सया बारसुत्तरा होति। नवणउयं अंससयं, मज्झे भरहस्स विक्खंभो ॥६०४॥ एगावण्णा चउदस, सहस्स दो चेव सयसहस्सा य। सद्धि अंसाण सयं, हेमवए मज्झविक्खंभो ।। ६०५ ॥ सत्तहिया दोण्णि सया, छप्पण्ण सहस्स अट्ठ लक्खा य । चत्तारि चेव अंसा, हरिवासे मज्झविक्खंभो ॥६०६ ॥ अडवीसा अट्ठ सया, चउवीसा सहस्स लक्ख चउतीसं । सोलस चेव य अंसा, मज्झविदेहस्स विक्खंभो ॥६०७॥ ३१८ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy