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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मूले दस बावीसे, रुंदो मज्झम्मि सत्त तेवीसे । उवरिं चत्तारि सए, चउवीसे होइ विच्छिणो एगा जोयणकोडी, लक्खा बायाल तीस य सहस्सा । दो य सय अउणपण्णा, अब्भितरपरिरओ तस्स एगा जोयणकोडी, छत्तीस सहस्स लक्ख बायाला । तेरसहिय सत्त सया, बाहिरपरिही गिरिवरस्स जंबूणयामओ सो, रम्मो अद्धजवसंठिओ भणिओ । सीहनिसाई जेणं, दुहा कओ पुक्खरद्दीवो अट्ठेव सय सहस्सा, अब्भिंतरपुक्खरस्स विक्खंभो । उत्तरदाहिणदीहा, उसुयारा तस्स मज्झम्मि धायइसंडयतुल्ला, कालोययमाणुसोत्तरे पुट्ठा । तेहि दुहा निद्दिस्सर, पुव्वद्धं पच्छिमद्धं च तिण्णेव सयसहस्सा, नवनउई खलु भवे सहस्सा य । पुक्खरवरदीवड्ढे, ओगाहित्ताण दो कुंडा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दो चेव सहस्साई, विच्छिण्णा होंति आणुपुव्वीए । दस चेव जोयणाई, उव्वेहेणं भवे कुंडा उव्वेहो वेयड्डाणं, जोयणाई तु छस्सकोसाईं । पणुवीसं उव्विद्धा, दो चेव सयाइं विच्छिण्णा धायइडइदुगुणा, वासहरा होंति पुक्खरद्धम्मि । उसुयारा साहस्सा, ते मिलिया होंतिमं खित्तं पणपण्णं च सहस्सा, छच्चेव सया हवंति चुलसीया । तिण्णेव सयसहस्सा, वासविहीणं तु जं खित्तं एयं पुण सोहिज्जा, कालोयहिपरिरया उ सेसमिणं । चउदस सहस्स नवसय, इगवीसइ लक्ख अडसीई ३१७ For Private And Personal Use Only ॥ ५८४ ॥ ।। ५८५ ।। ॥ ५८६ ॥ ॥ ५८७ ॥ ।। ५८८ ।। ।। ५८९ ॥ ।। ५९० ।। ।। ५९१ ।। ॥ ५९२ ॥ ॥ ५९३ ॥ ।। ५९४ ।। ॥ ५९५ ॥
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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