SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ८ ॥ सारजुया वोच्छं गाहाओ जं सुत्तयं तहिं तासि । अत्थाहिगारकहणं दुवारगाहादुगं आह एत्थ विवक्खावसओ दाराणेवं परूवणा दुविहा । संभवइ नव दुवालस - भेएहिं तत्थ नव एवं ॥९॥ ठाणेसु जेसु जियगुण-रूवेसुवओगदुगभेयं । जप्पच्चइओ तइयं होइ जहा तुरिययं होइ ॥ १०॥ जेसुं ठाणेसुं गुण-रूवेसुं बन्धउदउदीरणया। एए तिगमिलणे सत्त हुंति तिण्हंपि तेसि पि ॥ ११॥ संजोगो इइ अडगं बन्धविहाणे य नवमयं होइ । बारसदारविवक्खा नवमे दारम्मि चउह कए ॥१२॥ पयइट्ठीअणुभाग-प्पएसभेएहि होइ अह एसि । दाराणं इय कमभणण-कारणं सुणह इणमो त्ति ॥ १३ ॥ तत्थ सुदुत्तरभवजलहिपडियरयणं व दुल्लहं लड़े। मणुयत्तं खेत्तसुहगुरुधम्मसवणाइसामग्गी विउसेणं जइयव्वं मोक्खकए सोवि होइ कम्मखया। सो पुण बन्धावगमे बन्धावगमो जियायत्तो ॥ १५॥ जीवा उवयोगाईहिं लखियव्व त्ति तो भणइ पढमं । उवओगातो तल्लक्खणो वि जीवोत्थ सव्वाओ ॥१६॥ किरियाओ जोगेहिं कुणइ तओ जोगभणणमह तेवि । सामण्णबन्धपच्चयजुत्ता तेसिं अओ भणणं ॥१७॥ ते पुण विसेसबन्धप्पच्चयसहियत्ति होइ तब्भणणं ४ । तेहिं जियाण कम्माण होइ बन्धो त्ति तं भणइ ५ ॥ १८ ॥ तम्मि उदयो ६ दीरण ७ तओ य तिण्हं पि तेसि संयोगो ८ । सामण्णभणियमत्थं पुणो विसेसेण भणियव्वं || १९ ॥ ॥ १४॥ प For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy