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तित्तीसं च सहस्सा, छच्चेव सया हवंति चुलसीया। सोलस चेव य अंसा, विक्खंभो होइ निसहस्स ॥५२४ ।। जह विक्खंभो दाहिण-दिसाए तह उत्तरेऽवि तिण्ह गिरि। छप्पुव्वद्धे जह तह, अवरद्धे पव्वया छा उ
॥५२५ ॥ वासहरगिरी वक्खारपव्वया पुव्वपच्छिमद्धेसु । जंबूद्दीवगदुगुणा, वित्थरओ उस्सए तुल्ला
॥ ५२६ ।। वासहरकुरुसु दहा, नईण कुंडाइ तेसु जे दीवा । उव्वेहुस्सयतुल्ला, विक्खंभायामओ दुगुणा
॥५२७ ।। सव्वाओ वि नईओ, विक्खंभोव्वेहदुगुणमाणाओ। सीयासीओयाणं, वणाणि दुगुणाणि विखंभे ॥ ५२८ ॥ कंचणगजमगसुरकुरु-नगा य वेयड्ढ दीहवट्टा य। विक्खंभोव्वेहसमु-स्सएण जह जंबूद्दीवि व्व ।। ५२९ ॥ चउणउइ सए मेरुं, विदेहमज्झा विसोहइत्ताणं । सेसस्स य जं अद्धं, सो विक्खंभो कुरूणं तु ॥५३० ॥ सत्ताणवइ सहस्सा, सत्ताणउयाइ अट्ठ य सयाई। तिण्णेव य लक्खाई, कुरूण भागा उ बाणउई ॥५३१ ॥ हरया य दुसाहस्सा, जमगाण सहस्स सोहय कुरूओ। सेसस्स सत्तभागं, अंतरमो जाण सव्वेसिं पणपण्ण सहस्साई, दो चेव सयाई एगसयराई। दोसु वि कुरुसु एयं, हरयनगाणंतरं होइ
।। ५३३ ॥ लक्खो सत्त सहस्सा, अउणासीई य अट्ठ य सयाई । वासो उ भद्दसाले, पुव्वेणमेव अवरेणं
।। ५३४ ॥ आयामेणं दुगुणा, मंदरसहिया दुसेलविक्खंभं । सोहित्ता जं सेसं, तं कुरुजीवं वियाणाहिं
।। ५३५ ॥
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