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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तं चेव य सोहिज्जा, धायइसंडस्स परिरयाहितो । सो बाहिं धुवरासी, भरहाइसु धायईसंडे ॥ ५१२॥ उणवीसहियं च सयं, बत्तीस सहस्स लक्ख ऊयालं । धायइसंडस्सेसो, धुवरासी बाहि विक्खंभो ।। ५१३॥ अट्ठारस य सहस्सा, पंचेव सया हवंति सीयाला । पणपण्णं अंससयं, बाहिरओ भरहविक्खंभो ॥ ५१४॥ चउहत्तरि सहस्सा, नउय सयं चेग जोयणाण भवे। छण्णउयं अंससयं, हेमवए बाहिविक्खंभो ॥ ५१५ ॥ तेवढा सत्त सया, छण्णउइ सहस्स दो सयसहस्सा। अडयालं अंससयं, हरिवासे बाहिविक्खंभो ।। ५१६। इक्कारस लक्खाई, सत्तासीया सहस्स चउपण्णा । अटुटुं अंससयं, बाहिरओ विदेहविक्खंभो ।। ५१७॥ चउगुणिय भरहवासो, हेमवए तं चउगुणियं तइए । हरिवासं चउगुणिय, महाविदेहस्स विक्खंभो ॥५१८ । जह विक्खंभो दाहिण-दिसाए तह उत्तरेऽवि वास तिए। जह पुव्वद्ध सत्तओ, तह अवरद्धेऽवि वासाइं ।। ५१९ । बायाला अट्ठसया, सहस्स अट्ठत्तरी सयसहस्सं । वासविहणं खित्तं, धायइसंडम्मि दीवम्मि ।। ५२०। एयं दुसहस्सूणं, इच्छासंगुणिय चउरसीभइयं । वासो वासहराणं, जावंताविक्कचउसोला ।। ५२१ । इगवीस सया पणहिय, बावीसं चउरसी य भागो य। चुल्लहिमवंतवासो, धायइसंडम्मि दीवम्मि ।। ५२२ । इगवीसा चुलसीई, सया उ चत्तारि चेव अंसा उ। वासोमहाहिमवए, धायइसंडम्मि दीवम्मि || ५२३। ૩૧૧ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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