SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 307
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ३८१ ॥ ॥ ३८२ ॥ || ३८३ ॥ ॥ ३८४ ।। ॥ ३८५ ॥ वप्प सुवप्प महावप्पए य वप्पावई चउत्थोऽत्थ । वग्गू सुवग्गू गंधिल, गंधावई अट्ठमे भणिए। (नवजोयणपिहुलाओ, बारसदीहा पवरनयरीओ। अद्धविजयाणमझे, इमेहिं नामेहिं नायव्वा ।।) खेमा खेमपुरी वि य, अस्टुि रिद्धावई य नायव्वा । खग्गी मंजूसा वि य, उसहिपुरी पुंडरगिणि य सुसीमा कुंडला चेव, अवरावई तहा य पहंकरा । अंकावइ पम्हावइ, सुहा रयणसंचया आसपुरी, सीहपुरी, महापुरी चेव होइ विजयपुरी। अवराजिया य अवरा असोगा तह वीयसोगा य विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिया य बोधव्वा । चक्कपुरी खग्गपुरी, हवइ अवज्झा य अउज्झा य सीयाए उइण्णेसु, सीओयाए उ जम्मविजएसुं । गंगासिंधुनईओ, इयरेसु य रत्तरत्तवई सीयासीओयाणं, उभओ कूलेसु वणमुहा चउरो । उत्तरदाहिणदीहा, पाईणपईणविच्छिण्णा अउणावीसइभागं, रुंदा वासहरपव्वयंतेणं । अउणत्तीस सया पुण, बावीसहिया नईजुत्तो पंच सए बाणउए, सोलस य हवंति जोयणसहस्सा। दो य कला अवराओ, आयामेणं मुणेयव्वा जत्थिच्छसि विक्खंभं, सीयाए वणमुहस्स नाउं जे। अउणत्तीससएहिं, बावीसहिएहिं तं गुणिए तं चेव पुणो रासिं, अउणावीसाइ संगुणेऊणं । सुर्णिणदियदुगपंचय-एक्कगतिगभागहारो से ॥ ३८६ ॥ ।। ३८७ ॥ ॥ ३८८॥ ॥ ३८९ ॥ ॥ ३९० ॥ ॥ ३९१ ॥ 300 For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy