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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भइएण रासिणा तेण एत्थ जं होइ भागलद्धं तु । सो सीयाए वणमुहे, तर्हि तहिं होइ विक्खंभो ॥३९२ ॥ अविरहियं जिणवरचक्कवट्टिबलदेववासुदेवेहि। एयं महाविदेहं, बत्तीसाविजयपविभत्तं ॥३९३ ॥ मणुयाण पुव्वकोडी, आऊ पंचूसियाधणुसयाई । दुसमसुसमाणुभावं, अणुहवंति नरा निययकालं || ३९४ ॥ दो चंदा दो सूरा, नक्खत्ता खलु हवंति छप्पण्णा। छावत्तरं गहसयं, जंबूद्दीवे वियारीणं ।। ३९५ ॥ एमं च सयसहस्सं, तेत्तीसं खलु भवे सहस्सा य । नव य सया पण्णासा, तारागणकोडिकोडीणं ॥ ३९६ ॥ जंबूद्दीवो नामं, खेत्तसमासस्स पढम अहिगारो। पढमो जाण सम्पत्तो, ताण समत्ताई दुक्खाई ॥ ३९७ ॥ गाहाणं तिण्णि सया, अट्ठाणउया य होति नायव्वा । जंबूद्दीवसमासो, गाहग्गेणं विणिट्टिो ॥३९८ ॥ दो लक्खा विच्छिण्णो, जंबूद्दीव विडिओ परिक्खिविउं। लवणे दारा वि य से, विजयाइं होति चत्तारि ॥३९९ ॥ पण्णरस सयसहस्सा, एगासीई भवे सहस्साइं। ऊयालीसं च सयं, लवणजले परिरओ होइ असीया दोण्णि सया, पणणउइ सहस्स तिण्णि लक्खाई। कोसो एगं अंतरं, सायरस्स दाराण विण्णेयं ॥४०१ ॥ पणनउइ सहस्साई, ओगाहित्ता चउद्दिर्सि लवणं । चउरोऽलिंजरसंठाण-संठिया हुंति पायाला ।। ४०२।। वलयमुहे केऊए, जुयए तह ईसरे य बोधव्वे । सव्ववयरामया णं, कूडा एएसि दससइया ॥ ४०३॥ ॥४०० ॥ 30१ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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