SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 305
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ३५७ ॥ || ३५८ ॥ || ३५९ ॥ ।। ३६०॥ ।। ३६१ ॥ ॥ ३६२॥ एगत्थ पंडुकंबल-सिल त्ति अइपंडुकंबला बीया । रत्तातिरत्तकंबल-सिलाण जुयलं च रम्मयलं पुव्वावरासु दो दो, सिलासु सिंहासणाइ रम्माइं। जम्माइ उत्तराए, सिलाइ इक्किक्कयं भणियं सीयासीओयाणं, उभओकुलुब्भवा जिणवरिंदा । पंडुसिलरत्तकंबल-सिलासु सिंहासणवरेसु अइपंडुकंबलाए, अइरत्ताए य बालभावम्मि । भरहेरवयजिणिंदा, अभिसिच्चंते सुरिंदेहि पुव्वविदेहं मेरुस्स, पुव्वओ सीयानई परिच्छिण्णं अवरेण वरविदेहं, सीओयाए परिच्छिण्णं सीयासीओयाण, वासहराणं च मज्झयारम्मि । विजयावक्खारगिरी, अंतरनइवणमुहा चउरो वइदेहा विखंभा, नइमाणं पंच जोयणसयाई । सोहित्ता तस्सद्धं, आयामो तेसिमो होइ पंच सए बाणउए, सोलससहस्स दो कलाओ य । विजयावक्खाराणं, अंतरनइवणमुहाणं च चउणउए पंच सए, चउसट्ठि सहस्स दीववित्थारो । सोहिय सोलसभइए, विजयाणं होइ विक्खंभो छण्णवइ सहस्साई, जंबूद्दीवा विसोहइत्ताणं । सेसे अट्टहिं भइए, लद्धो वक्खारविक्खंभो नवनउइ सहस्साई, अड्डाईज्जे सए य सोहित्ता । सेसं छक्कविहत्तं, लद्धो सलिलाण विक्खंभो चउनवइ सहस्साई, छप्पण्ण सयं च सोहु दीवाओ। दोहिं विभत्ते सेसं, सीयासीओयवणमाणं || ३६३॥ ।। ३६४॥ ।। ३६५ ॥ ॥३६६॥ ॥ ३६७॥ ॥३६८॥ ૨૯૮ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy