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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मेरुवणं मज्झेणं, अट्ठहि कोसेहिं मेरुमप्पत्ता । विज्जुप्पभस्स हिद्वेण, वराभिमुही अह प्पयाया विजया वि य एक्केक्का, अट्ठावीसाइनइसहस्सेहिं । आऊरमाणसलिला, अवरेणुदहिं अणुप्पत्ता सीयाऽवि दाहिणदिसं, हरए उत्तरकुरा उ दालिती । अप्पत्ता मेरुगिरिं पुव्वेणं सागरमईइ सलिलाऽवि नारिकंता, उत्तरओ मालवंतपरियागं । चउकोसेहि अपत्ता, अवरेणं सागरमईइ गाउयमुच्चा पलिओ - वमाउणो वज्जरिसहसंघयणा । हेमवरण्णवए, अहमिंद नरा मिहुणवासी चउसट्ठी पिट्टकरं -डयाण मणुयाण तेसिमाहारो । भत्तस्स चउत्थस्स य, गुणसीदिणवच्चपालणया हरिवासरम्मएस उ आउपमाणं सरीरमुस्सेहो । पलिओवमाणि दोणि उ, दोण्णि य कोसूसिया भणिया छट्ठस्स य आहारो, चउसट्ठिदिणाणि पालणा तेसिं । पिट्टकरंडाण सयं, अट्ठावीसं, मुणेयब्वं मज्झे महाविदेहस्स, मंदरो तस्स दाहिणुत्तरओ । चंदद्धसंठियाओ, दो देवकुरूत्तरकुराओ विज्जुप्पभ सोमणसा, देवकुराए पइण्णपुव्वेण । इयए गंधमायण, एवं चिय मालवंतो वि वक्खारपव्वयाणं आयामो, तीस जोयणसहस्सा । दोणि य सया नवहिया, छच्च कलाओ चोण्हं पि वासहरगिरंते णं, रुंदा पंचेव जोयणसयाई । चत्तारि सय उव्विद्धा, ओगाढा जोयणाण सयं ૨૦૯ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only ॥ २४९ ॥ ।। २५० ॥ ।। २५१ ॥ ॥ २५२ ॥ ॥ २५३ ॥ ॥ २५४ ॥ ॥ २५५ ॥ ॥ २५६ ॥ ॥ २५७ ॥ ।। २५८ ।। ।। २५९ ॥ ॥ २६० ॥
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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