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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ।। २४०॥ अवरेण परावत्ता, अडवीसनईसहस्सपरिवारा । गंगादुगुणपमाणा, अवरेणुदहिं अणुप्पत्ता ॥ २३७॥ सिहरिम्मि वि एस कमो, पुंडरियदहम्मि लच्छिनिलयम्मि। नवरं सलिला रत्ता, पुव्वेणवरेण रत्तवई ॥२३८ ॥ सलिला सुवण्णकूला, दाहिणओ चेव दोहि कोसेहिं । वियडावइमप्पत्ता, पुव्वेणुदहिं समोगाढा ।। २३९ ॥ हिमवंते य महंते, हरयाओ दाहिणुत्तरपवूढा । रोहियहरिकंताओ, मज्झेणं पव्वयवरस्स सोलस सयाणि पंचु-त्तराणि पंच य कला उ गंतूणं । नगसिहरा पडियाओ, कुंडेसुं निययनामेसुं ॥ २४१ ॥ कुंडुव्वेहो दीवुस्सओ य सव्वत्थ होइ अणुसरिसो । जिब्भियमाई सेसो, दुगुणो दुगुणो उ नायव्वो ॥२४२ ॥ दोण्हं दोण्हं नईणं, उभओऽविय जाव सीय सीओया। खेत्ते खेत्ते य गिरि, अप्पत्ता दुगुणदुगुणेणं ॥ २४३ ॥ हेमवए मज्झेणं, पुव्वोदहि रोहिया गया सलिला। हरिकंता हरिवासं, मज्झेण वरोयहि पत्ता । || २४४ ॥ सलिलाऽवि रुप्पकूला, रुप्पीओ उत्तरेण ओवइओ। अवरोयहिं अइगया, पुव्बोदहिमवि य नरकांता ॥२४५ ॥ हरि सीओया निसहे, गच्छंति नदी उ दाहिणुत्तरओ। चउहत्तरं सयाई, इगवीसाई कलं गं || २४६ ॥ हरिवासं मज्झेणं, हरिसलिला पुव्वसागरं पत्ता। कुंडाओ सीओया, उत्तरदिसि पत्थिया संती ।। २४७। देवकुरुं पज्जंती, पंच वि हरए दुहा विभयमाणी। आपूरमाणसलिला, चुलसीइनईसहस्सेहिं ॥ २४८ ॥ ૨૮૮ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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