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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || २८० ॥ जोइ दस देवि वीसं, वेमाणियट्ठसय वीस देवीओ। तह पुंवेएहितो, पुरिसा होऊण अठसयं || २७६॥ सेसट्ठभंगएसु, दस दस सिझंति एगसमएणं । विरहो छमास गुरुओ, लहु समओ चवणमिह नत्थि ॥ २७७ ॥ अड सग छ पंच चउ तिण्णि दुण्णि इक्को य सिज्झमाणेसु। बत्तीसाइसु समया, निरंतरं अंतरं उवरि ॥२७८ ॥ बत्तीसा अडयाला, सट्ठी बावत्तरी य अवहीओ। चुलसीई छण्णवई, दुरहियमद्दुत्तरसयं च || २७९ ॥ पणयाल लक्खजोयण, विक्खंभा सिद्धसिल फलिह विमला । तदुवरिंग जोयणंते, लोगंतो तत्थ सिद्धठिई बहुमज्झदेसभाए, अद्वेव य जोयणाइ बाहल्लं । चरिमंतेसु य तणुई, अंगुलसंखिज्जई भागं || २८१ ॥ तिण्णिसया तित्तीसा, धणुत्ति भागो य कोसछब्भागो। जं परमोगाहणायं, तो ते कोसस्स छब्भागो ॥ २८२ ॥ एगा य होइ रयणी, अट्ठेव य अंगुलेहि साहीया। एसा खलु सिद्धाणं, जहण्ण ओगाहणा भणिया ॥ २८३ ।। बावीस सग ति दस वास सहसऽगणि तिदिण बेइंदियाईसु । बारस वासूण पण दिण, छम्मास तिपलिय ठिई जिट्ठा सण्हा य सुद्ध वालुय, मणोसिला सक्करा य खर पुढवी। इग बार चउद सोलस, द्वारस बावीस समसहसा ॥ २८५ ।। गब्भ भुय जलयरो-भय, गम्भोरग पुव्व कोडि उक्कोसा। गब्मचउप्पय पक्खिसु, तिपलिय पलियाअसंखंसो ॥२८६ ॥ पुवस्स उ परिमाणं, सयरिं खलु वास कोडि लक्खाओ। छप्पण्णं च सहस्सा, बोधव्वा वासकोडीणं ॥ २८७॥ || २८४ ॥ ૨૬૨ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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