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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हरिणो मणुस्स रयणाइ हुंति नाणुत्तरेहिं देवेहिं । जहसंभवमुववाओ, हयगय एगिंदि रयणाणं । वामपमाणं चक्कं, छत्तं दंडं दुहत्यं चम्मं । बत्तीसंगुल खग्गो, सुवण्ण कागिणि चउरंगुलिया चरंगुलो दुअंगुल, पिहुलो य मणी पुरोहि गय तुरया । सेणावइ गाहावइ, वड्ढइ त्थी चक्कि रयणाई । चउरो आयुह गेहे भंडारे तिण्णि दुण्णि वेयड्ढे । ए रायगिम्मिय, नियनयरे चेव चत्तारि नोसप्पे पंडूए, पिंगलए सव्वरयण महपउने । काले य महाकाले, माणवगेयातहामहासंखे जंबुद्दीवे चउरो, सयाइ वीसुत्तराइ उक्कोसं । रयणाइ जहणं पुण, हुंति विदेहम्मि छप्पण्णा चक्कं धणुहं खग्गो, मणी गया तह य होइ वणमाला । संखो सत्त इमाई, रयणाई वासुदेवस्स Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संखनरा चउसु गइसु जंति पंचसु वि पढम संघयणे । इग दुति जा अट्ठसय, इगसमए जंति ते सिद्धि वीसि त्थि दस नपुंसग, पुरिसट्ठसयं तु एगसमएणं । सिज्झइ गिहिअण्ण सलिंग चउदस अट्ठाहिय सयं च गुरु लहु मज्झिम दोचउ, अट्ठसयं उड्डहो तिरि य लोए । बावीस सयं, दुसमुद्दे तिण्णि सेसजले ૨૬૧ For Private And Personal Use Only ॥ २६४ ॥ ॥ २६५ ॥ ॥ २६६ ॥ ॥ २६७ ॥ ॥ २६८ ॥ ॥ २६९ ॥ ॥ २७० ॥ ।। २७१ ।। ॥ २७२ ॥ ।। २७४ ॥ नरय तिरिया गया दस, नरदेवगईउ वीस अट्ठसयं । दस रयणा सक्कर वालुयाउ चउ पंक भू दगओ छच्च वणस्सइ दस तिरि तिरि त्थि दस मणुय वीस नारीओ । असुराइ वंतरा दस, पण तद्देवीउ पत्तेयं ।। २७५ ॥ ।। २७३ ।।
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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