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सम्मुच्छिम पर्णिदि थलखयर, उरग भूयगा जिट्ठ ठिइ कमसो। वास सहस्सा चुलसी, बिसत्तरि तिपण्ण बायाला ॥२८८ ॥ एसा पुढवाईणं, भव-ट्ठिई संपयं तु कायठिई । चउ एगिदिसु णेया, उसप्पिणीओ असंखिज्जा ॥ २८९ ॥ ताओ वणम्मि अणंता, संखिज्जा वास सहस विगलेसु।। पंचिंदि तिरिनरेसु, सत? भवा उ उक्कोसा
॥२९० ॥ सव्वेसिपि जहण्णा, अंतमुहुत्तं भवे य काए य। जोयण सहस्स महियं, एगिदिय-देह-मुक्कोसं ॥२९१ ।। बि-ति-चरिंदिसरीरं, बारस जोयण-तिकोस-चउकोसं। जोयण सहस्सपणिदिय, ओहे वुच्छं विसेसं तु ॥ २९२ ।। अंगुल असंखभागो, सुहुम निगोओ असंख गुणवाऊ । तो अगणि तओ आऊ, तत्तो सुहुमा भवे पुढवी ॥ २९३ ॥ तो बायर वाऊ गणी, आऊ पुढवी निगोय अणुक्कमसो। पत्तेयवणसरीरं, अहियं जोयणसहस्सं तु
॥ २९४ ॥ उस्सेहंगुलजोयण, सहस्समाणे, जलासए नेयं । तं वल्लि पउम-पमुहं, अओ परं पुढवीरूवं तु ॥२९५ ॥ बारस जोयण संखो, तिकोस गुम्मी य जोयणं भमरो। मुच्छिम चउपयभुयगुरग गाऊधणु जोयण पुहुत्तं ॥ २९६ ।। गब्भ-चउप्पय-छग्गाउयाइ भुयगा उ गाउय पुहुत्तं । जोयण सहस्स मुरगा, मच्छाउभए विय सहस्सं ॥ २९७ ॥ पक्खि दुग धणुपुहुत्तं, सव्वाणंगुलअसंखभागलहू। विरहो विगला सण्णीण जम्म मरणेसु अंतमुहू ॥ २९८ ॥ गब्भे मुहुत्त बारस, गुरुओ लहु समय संख सुर तुल्ला । अणुसमयमसंखिज्जा, एगिदिया हुंति य चवंति ॥ २९९॥
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