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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥४८॥ ॥ ४९ ॥ ॥५१॥ नवरं वंतर जोइस, इंदाण न हुंति लोगपालाओ। तायत्तिसभिहाणा, तियसा वि य तेसिं न हु हुंति समभूतलाउ अट्ठहिं, दसूण जोयण सएहिं आरब्भ। उवरि दसुत्तर जोयण, सयम्मि चिटुंति जोइसिया तत्थ रवी दस जोयण, असीइ तदुवरि ससी य रिक्खेसु । अह भरणि साइ उवरि, बहिमूलोऽ भिंतरे अभिई ॥५०॥ तार रवि चंद रिक्खा, बुह सुक्का जीव मंगल सणिया। सगसय नउय दस असिइ, चउ चउ कमसो तिया चउसु इक्कारस जोयणसय इग वीसिक्कारसाहिया कमसो। मेरुअलोगाबाहं, जोइसचक्कं चरइ ठाइ ॥ ५२॥ अद्धकविठ्ठागारा फलिहमया रम्म जोइस विमाणा। वंतरनयरेहितो, संखिज्जगुणा इमे हुंति ॥ ५३॥ ताई विमाणाइं पुण, सव्वाई हुंति फालिहमयाई । दगफालीहमया पुण, लवणे जे जोइसविमाणा ॥ ५४॥ जोयणिगसट्ठि भागा, छप्पण्णअडयाल गाउदु इगद्धं । चंदाइविमाणायाम वित्थरा अद्ध मुच्चत्तं . ॥५५॥ पणयाल लक्ख जोयण, नरखित्तं तत्थिमे सया भमिरा । नरखित्ताओ बहिं पुण, अद्धपमाणा ठिआ निच्चं ॥५६॥ ससिरविगहनक्खत्ता, ताराओ हुँति जहुत्तरं सिग्घा । विवरीया उ महड्डिआ, विमाणवहगा कमेणेसिं ॥ ५७ ॥ सोलस सोलस अड चउ, दो सुरसहसा पुरो य दाहिणओ। पच्छिम उत्तर सीहा, हत्थी वसहा हया कमसो ॥५८ ॥ गहअट्ठासी नवखत्त अडवीसं तार कोडि कोडीणं । छासट्ठिसहस्स नवसय, पणसत्तरि एगससि सिण्णं ॥ ५९॥ ૨૪૩ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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