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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||३७॥ ॥ ४० ॥ काले अ महाकाले, सुरूव पडिरूव पुण्णभद्दे अ। तह चेव माणिभद्दे, भीमे अ तहा महाभीमे किंनर किंपुरिसे सप्पुरिस, महापुरिस तह य अइकाए। महाकाय गीअरई, गीअजसे दुण्णि दुण्णि कमा चिंधं कलंब सुलसे, वड खटुंगे असोग चंपयए। नागे तुंबरु अ ज्झए, खटुंगविवज्जिया रुक्खा ॥ ३८॥ जक्ख पिसाय महोरग, गंधव्वा साम किनरा नीला । रक्खस किंपुरिसा वि अ, धवला भुआ पुणो काला ॥३९ ।। अणपण्णी पणपण्णी, इसिवाइ भूअवाइए चेव। कंदी अ महाकंदी कोहंडे चेव पयंगे अ इयपढम जोयणसए, रयणाए अट्ठ वंतरा अवरे । तेसु इह सोलसिंदा, रुअग अहो दाहिणुत्तरओ ॥४१॥ संनिहिए सामाणे, धाइ विहाए इसि य इसिवाले । ईसर महेसरे वि य, हवइ सुवत्थे विसाले य ॥ ४२ ॥ हासे हासरई वि य, सेएय भवे तहा महासेए। पयंगे पयंगवई वि य, सोलस इंदाण नामाई ॥४३॥ सामाणियाण चउरो, सहस्स सोलस य आयरक्खाणं । पत्तेयं सव्वेसिं, वंतरवइ ससिरवीणं च इंद सम तायतीसा, परिसतिया रक्खलोगपाला य। अणिय पइण्णा अभिओगा, किब्बिसं दस भवण वेमाणी ॥ ४५ ॥ गंधव्व नट्ट हय गय, रह भड अणियाणि सव्व इंदाणं । वेमाणियाण वसहा, महिसा य अहोनिवासीणं ॥ ४६॥ तित्तीस तायतीसा, परिसतिआ लोगपाल चत्तारि । अणिआणि सत्त सत्त य, अणियाहिव सव्वइंदाणं ॥४४॥ ॥४७॥ ૨૪૨ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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