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चउचउलक्खविहूणा, तावइआ चेव उत्तरदिसाए । सव्वे वि सत्तकोडी, बावत्तरि हुंति लक्खा य
॥ २४ ॥ चत्तारि य कोडीओ, लक्खा च्छच्चेव दाहिणे भवणा। तिण्णेव य कोडीओ, लक्खा छावट्ठि उत्तरओ ॥ २५॥ रयणाए हिट्टवरिं, जोयणसहसं विमुत्तु ते भवणा। जंबुद्दीवसमा तह, संखमसंखिज्जवित्थारा
॥ २६ ॥ चूडामणिफणि गरुडे, वज्जे तह कलस सीह अस्से अ। गय मयर वद्धमाणे, असुराईणं मुणसु चिंधे
॥ २७॥ असुरा काला नागु दहि पंडुरा तह सुवण्ण दिसि थणिया। कणगाभ विज्जु सिहि दीव अरुण वाऊ पिअंगुनिभा ॥ २८ ॥ असुराण वत्थ रत्ता, नागु दहि विज्जु दीव सिहि नीला । दिसि थणिअ सुवण्णाणं, धवला वाऊण संझरुई ॥२९॥ चउसट्ठि सट्ठि असुरे, छच्च सहस्साई धरणमाईणं । सामाणिया इमेसि, चउग्गुणा आयरक्खा य
॥ ३० ॥ रयणाए पढमजोयण, सहस्से हिट्टवरि सय सय विहूणे । वंतरयाणं रम्मा भोमा नगरा असंखिज्जा
॥ ३१ ॥ बाहिं वट्टा अंतो, चउरंस अहो अ कण्णियायारा । भवणवईणं तह वंतराण इंदभवणाउ नायव्वा
॥ ३२ ॥ तहिं देवा वंतरिया, वरतरुणीगीयवाइयरवेणं । निच्चं सुहिया पमुइया गयंपि कालं न याणंति ।। ३३ ।। ते जंबूदीव भारह, विदेह सम गुरु जहण्ण मज्झिमगा। वंतर पुण अट्ठविहा, पिसायभूया तहा जक्खा ||३४ ॥ रक्खस किंनर किंपुरिसा, महोरगा अट्ठमा य गंधव्वा । दाहिणउत्तरभेआ, सोलस तेसिं इमे इंदा
॥ ३५ ॥
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