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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥७२॥ || ७३ ॥ ॥७४॥ ।। ७५ ॥ ॥७६ ॥ ॥७७ ॥ एयाणि जह विगलिंदियाण नाणत्तुं जाइमाईहिं । पंचगसत्तगअट्ठगनवाहिया वीस तीसा य वेउब्वियतिरियाणं उदयट्ठाणाणि पंच एयाणि । अस्संघयणी वेउब्वियत्ति नो एगहीणत्ति इगपंचछसत्तट्ठगनवाहिया वीस तीस इगतीसा। अट्ठदया सामण्णेण हुंति पंचिंदितिरियाणं एएसि संताण वि पंच जहेगिंदियाण भणियाणि । सम्मत्ता तिरियगई इत्तो वुच्छामि मणुयगई तत्थ मणुयाण अट्ठ वि बंधट्ठाणाणि पुव्वभणियाणि । चउवीसविरहियाई एक्कारस उदयट्ठाणाणि अट्ठत्तरिवज्जाइं एक्कारस हुंति संताणाणि । सामण्णमिणं वुच्छं विसेसओ उदयसंताणि इगवीसा छब्बीसा अडवीसा एगूणतीस तीसा य । पागयमणुयाण इमाणि उदयट्ठाणाणि पंचेव पंचगसत्तगअट्ठगनवाहिया वीस तीस जहपुब्बिं । पंचिदियतिरियजुग्गा तहित्थ वेउव्विमणुयाणं वीसेगवीस छस्सत्तअनवअहिय वीस तीसा य। इगतीस नवट्ठ भवे दस उदया केवलिजिणाणं मणुयगई पंचिंदियजाई तसबायरं च पज्जत्तं । सूभगआइज्जजसं धुवोदएहिं समा वीसा सामण्णकेवलिस्स य इमा समुग्घायवट्टमाणस्स । तित्थयरस्सिगवीसा छव्वीसा देहपत्तस्स केवलिणो पक्खित्ते ओरालदुगोवघायपत्तेए। संघयणे संठाणे सत्तावीसा य तित्थयरे ।। ७८ ॥ ॥ ७९ ॥ || ८० ॥ ।। ८१ ॥ ।। ८२ ॥ ॥ ८३ ॥ ૧૨૯ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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