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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥६० ॥ ।। ६१॥ ॥६२ ॥ ।। ६३ ॥ || ६४ ।। ॥ ६५ ॥ तत्तो सरीरपत्ते ओरालसरीरहुंडउवघायं । साहारणपत्तेयाणमेगा अणुपुव्विविगमम्मि चउवीसुदओ तत्तो सरीरपज्जत्तगस्स परघाए । खित्तम्मि पण्णवीसा ऊसासुदयम्मि छव्वीसा आयावुज्जोए वा खित्ते सगवीस संतठाणेसु । बाणउई अट्ठासी जह निरयाणं तहेहं पि देवदुगे उव्वलिए तत्तो अट्ठत्तरी य संतम्मि । तेवीसपण्णवीसा छण्णवहियवीसतीसा य विगलिंदियाण तिण्हं पि बंधठाणाणि पंच एयाणि । इगछक्कगअडनवहियवीसा तीसा य इगतीसा उदयट्ठाणाणि इमाणि छच्च एगिदियाण जह भणिया । नवरं इगवीसाओ अणुपुव्वि विणा सरीरत्थे ओरालदुगे हुंडे उवघाए तह य चेव सेवढे । पत्तेयम्मि य खित्ते छव्वीसा होइ उदयम्मि परधाए गमणम्मि य अट्ठावीसा तओ य उस्सासे । इगुतीसा तीसा उण सरम्मि उज्जोइ इगतीसा बाणउई अट्ठासी छलसी य असी य अट्ठसयरी य। संताण पंच एगिदियाण अह पुव्वभणियाणि तिगपंचगछगअट्ठगनवाहिया वीस तह य तीसा य। छ इमाणि बंधठाणाणि हुंति पंचिदितिरियाणं एयाणि जहा विगलिंदियाण पाएण नवरि इत्थहिया । अट्ठावीसा नेया सुरनेरइयाण पाउग्गा एक्कगछक्कगअट्ठगनवाहिया वीस तीस इगतीसा। उदयट्ठाणा छच्चिय पागयपंचिदितिरियाणं ॥६६॥ ।। ६७॥ ॥६८ ॥ ।। ६९ ॥ ॥ ७० ॥ ।। ७१ ॥ ૧૨૮ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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