SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥४८॥ ॥४९॥ ॥ ५० ॥ ।। ५१ ॥ ॥५२॥ ॥ ५३॥ एयाहि पणवीसा सरीरपत्तस्स आणुपुव्वि विणा । तत्तो सरीरपज्जत्तगस्स परघायगमणा य पक्खित्ते सगवीसा ऊसासे अट्ठवीस इगुतीसा। सरसहिया अह संते बाणउया ताणि वोच्छामि गइचउगजाइपणगं पंच सरीराणि पंच संघाया । पंचेव बंधणाई छस्संठाणाणि तह चेव अंगोवंगाण तिगं छस्संघयणाणि वण्णगंधरसा । फासा सव्वे वीसं विहायुदु चउरो य अणुपुव्वी अगुरुलहू उवघायं परघाऊसासआयवुज्जोयं । तसबायरपज्जत्तं पत्तेयथिरं सुभं सुभगं सूसरआइज्जजसं थावरदसगं तसाइपडिवक्खो। निम्माणेणं सहिया बाणउई नामसंतम्मि आहारगं सरीरं बंधणसंघायअंगुवंगं च । एएहि चउहि रहिया तित्थयरसमा नवासी य तित्थयरनामरहिया अट्ठासी अवसिया य निरयगई। इत्तो तिरियगईए वोच्छं बंधुदयसंताणि तेवीस पण्णवीसा छव्वीसा इगुणतीस तीसा य । एयाणि पंच एगिदियाण बंधस्स ठाणाणि इगवीसा चउवीसा पंचगछगसत्तसमहिया वीसा। उदयट्ठाणाणि इमाणि पंच बाणउय अट्ठासी छलसी असी य अट्ठत्तरी य एयाणि पंच संताणि । तिरिमणुपाउग्गाई बंधट्ठाणाइँ जहपुब्धि उदयट्ठाणिगवीसा जहपुव्वं नारयाण निद्दिट्ठा । नवरिंगिदियजाईपमुहं नाणत्तमिह नेयं ॥ ५४ ।। ॥५६॥ ॥ ५७॥ ॥ ५८॥ ॥ ५९॥ ૧૨૦ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy