SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || ८४ ॥ ।। ८५ ॥ ॥८६॥ ।। ८७॥ ।। ८८ ॥ ।। ८९ ॥ छव्वीसाए खित्ते परघाऊसासगइसरेगयरे । ओरालकायजोगे तीसा सामनकेवलिणो सरऊसासनिरोहे तीसा उण केवलिस्स अडवीसा । ऊसासे अनिरुद्धे सरे निरुद्धम्मि इगुतीसा तीसा उ सहावत्थस्स होइ तह इकतीस तित्थयरे । गइजाइतसं बायरपज्जत्तं सुभगमाइज्जं जसतित्थरेहिमसो नवोदओ पुण इमो अजोगिस्स। तित्थयरनामरहिओ अट्ठदओ होइ तस्सेव तेणउई बाणउई नवद्वछहि समहिया असी असिई। अक्खवगाणं छ इमा हवंति नामस्स संताणि तेरसनामे खविए चउण्ह आइल्लसंतठाणाणं । तत्तो कमेण जाणसु खवगाणं केवलीणं च असिई अऊणासीई छावत्तरि पण्णसत्तरी चेव । हुँति अजोगिजिणाणं पुव्वुत्तनवट्ठसंताणि देवाणं पणवीसा छवीसिगुत्तीस तीस चउबंधा। एगिदियपंचिंदियतिरियाण नराण पाउग्गा उदयट्ठाणाणि पुणो पंच जहा नारयाण भणियाणि । छद्रं तु इहं तीसा उज्जोएणं समा नेया तेणउई बाणउई नवअट्ठहि समहिया असीई य । संतट्ठाणाणि पुणो देवाण इमाणि चत्तारि एयाहिँ जहा पुव्विं भणियाइँ तहा इहं पि नेयाणि । इय बंधोदयसंताणि वणियाई समासेणं इय सत्तरीएँ सुत्तस्स तह य चुण्णीएँ सारमुद्धरियं । सीसाण हियट्ठाए भणियं सिरिहेमसूरीणं ।। ९०॥ ॥ ९२॥ ।। ९३॥ ।। ९४ ॥ ।। ९५ ॥ १३० For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy