SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ८९४ ॥ ॥ ८९५ ।। ॥ ८९६ ॥ ॥ ८९७ ॥ ।। ८९८ ॥ ॥ ८९९॥ हासरइभयदुगुंछा भागो अहिंगो उ लब्भई तत्थ । ईतग्गहणं संजलणाणं सायाइकहणम्मि जह तीसइपगईणं कहणावसरम्मि भावणा पकया । तह इहइंपि हु नेया तह सम्मो पगडिनवगस्स निद्ददुगं हासाईछक्कं तित्थयरमेव नवगंति । उक्कोसपएसं संविहेइ तहिं निंदनिद्ददुयगस्स जह तीसइ पगडीणं मज्झे सायाइकहणवसरम्मि । भणिओ भागो तह इह सव्वो वि हु होइ भणियव्वो हासाइछक्कगस्स उ जे जे सम्माइनियट्टियंताणं । मज्झम्मि तब्बंधं करंति ते ते उ उक्कोसे जोगम्मि वट्टमाणा उक्कसबंधं करंति तत्थ ठिया । मिच्छविभागो लब्भइ ई सम्मद्दिट्ठिणो गहणं तित्थयरस्स उ अविरयपभिई जीवो अपुव्वकरणंतो। सम्मो मूलप्पगडीसगविहबंधम्मि उज्जुत्तो भूयक्काराइचिंता-वसरे नामस्स दरिसियसरूवं । देवगईपाओग्गं तित्थयरसुनामसहियाए एगुणतीसं उत्तरपगईबंधम्मि वट्टमाणो उ। उक्कडजोगो उक्कसपएसबंध किर विहेई मिच्छद्दिट्ठी एया न बंधइ तेण सम्मजियग्गहणं । तित्थयरनामसहिया तेवीसइपभिइया पुव्वं जाओ भणिया नाम-स्सुत्तरपयडीओ ता न बज्झते । तीसिंगतीसइबंधो पुव्वं भणियाइ नीइए तित्थयरनामसहिओ बंधती नवरि तत्थ भागाणं । बाहुल्लत्ता उक्कसपएसबंधो न लब्भइ तो ॥९००॥ ॥ ९०१॥ ॥ ९०२॥ ॥ ९०३ ।। ॥ ९०४॥ ॥ ९०५ ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy