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॥ ३९ ॥
॥४०॥
इय नव अहिगारेहि, एए मे वण्णिया जिणा सव्वे। सुय सत्तम, सिद्धऽट्टम, वेयावच्चाण बारसमो वंदण, पूयण, सक्का, सम्मा, बो, निरु निमित्तछक्कं तु । सद्धा, मे, धिइ, धारण, अणुपेहा पंच हेऊ य नवकारेण जहण्णा, दंडगथुइजुगल मज्झिमा णेया। संपुण्णा उक्कोसा विहिणा खलु वंदणा तिविहा इय पडिपुण्णा विहिया विहिणा चिइवंदणा सउण्णेहिं । बहुभवलक्खसमज्जियकम्माण वि निज्जरं कुणइ
॥४१ ।।
॥ ४२ ॥
॥ गुरुवन्दनभाष्यम् ॥ गुहणंतय २५-देहा २५ -ऽऽवस्सएसु पणवीस हुंति पत्तेयं । छट्ठाणा ६ छ च्च गुणा ६ छ च्चेव य हुति गुरुवयणा ६ ॥१॥ अहिगारिणो उ पंच ५ य, इयरे पंचेव ५ पंच पडिसेहा ५ । एगोऽवग्गह १ पंचाभिहाण ५ पंचेव आहारणा ५ ॥२॥ आसायण तित्तीसं ३३, दोसा बत्तीस ३२, कारणा अट्ठ ८ । बाणउय सयं ठाणं १९२ वंदणयं होइ नायव्वं
॥३॥ दिट्ठिपडिलेह एगा १, नव अक्खोडा ९, नवेव पक्खोडा ९। पुरिमल्ला ६ छ च्च भवे मुहपत्ती होइ पणवीसा
॥४॥ छ बाहूसु तिण्णि सिरे तिण्णि मुहे तिण्णि उरसि चउ पिढे। चलणेसु छ च्च एए पणवीस पमज्जणा देहे
।।५।। दो (व?)णयं, अहाजायं, किइकम्मं बारसावयं । चउ सिरं, तिगुत्तं च, दुपवेसं, एगनिक्खमणं
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