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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पायमाणा विरई, तिसु वि परसुं सुयम्मि निद्दिट्ठा । एवं विरइपहाणा विहिणा चिइवंदणाऽभिहिया पढमसिलोगो उज्जोयगम्मि गाहाओ हुंति छ च्चेव । सुयत्थए दो गाहा अंते दो चेव वित्ताई सिद्धाईसंथवणे गाहाओ तिणि सुत्तनिद्दिट्ठा । गाहदुगं आयरणा एवं पंचेव गाहाओ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवगं, बत्तीसा वि य, तित्तीस, तियाल, अटुवीसा य । सोलस, वीस कमेण य आलावा मंगलाईसु अरिहंत, सिद्ध, आगम तिण्णेव य इत्थ वंदणिज्जा उ । नामंठवणा दविए भावे य जिणा चउब्भेया इह नामजिण चउत्थे, ठवणा तिय पंच, दव्वजिण बीए । पढमे छुट्टे नवमे दसमे इक्कारसे य भावजिणा ૧૫૦ || 30 || ॥ ३१ ॥ ॥ ३३ ॥ दो दो चउ चउ तिसया सगनउई तीस नवइ अब्भहिया । अडतीसा छायाला दंडेसु जहक्कमं वण्णा अण्णं, नीस, खास, च्छीए, जंभा, उडूइ, वाय, भम, पित्ते । सुहुमंग, खेल, दिट्ठी, अगि, छिंद, - ऽहि, बोहि, आगारा ॥ ३२ ॥ घोडग, लया, य खंभे, कुड्डे माले, य सबरि, वहु, नियले । लंबुत्तर, थण, उद्धी, संजइ, खलणे, य वायस, कविट्ठे सीसोकंपिय, मूई, अंगुलिभमुहाइ, वारुणी, पेहा । नाहीकरयल, कुप्पर, उस्सारिय पारियम्मि थुई नमु जे अरिहं लोगोस पुक्ख तम सिद्ध जो उ चत्ता वे । बारस अहिगाराणं या पढमक्खरा एए दुगं दुण्णि दुगं पंचेव कमेण हुंति अहिगारा । सक्कत्थयाईसु इहं थोयव्वा सेसदंडाओ ॥ ३४ ॥ ॥ ३५ ॥ For Private And Personal Use Only ॥ २७ ॥ ॥ २८ ॥ ॥ २९ ॥ ॥ ३६ ॥ ॥ ३७ ॥ 11 32 11
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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