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जम्हा पंचम-अंगे, पनरसमसयम्मि वीरनाहस्स। पडिवयदिवस-विहारो, चाउम्मासो य पढमदिणे ॥१८३ ॥ तिण्णेव य चउम्गासा, नायव्वा पुण्णिमाइ तत्तो य । पक्खिय-चाउम्मासा, न एगदिवसम्मि जायंति ॥ १८४ ।। अंगम्मि उवंगम्मि य, चउद्दसी अट्ठमी य उद्दिट्ठा । तह पुण्णिमा य एवं, चउपव्वतिहीण नामाई ॥ १८५॥ बीयसूयगडंगे, वित्ती तेवीसमेए अज्झयणे । अट्ठमि-चउद्दसीउ, पयडत्थाउ य नायव्वा
॥ १८६॥ महकल्लाणतिहीउ, उद्दीट्ठाउ त्ति जिणवरिंदाणं । तिण्णेव पुण्णिमाओ, चउम्मासतिहीउ भणियमिणं ॥१८७॥ एएण कारणेणं, चउद्दसि पक्खियं वियाणेह । जम्हा चउम्मास तिही, न पक्खियं पुण्णिमा किहवि ॥ १८८ ॥ अह पक्खियं चउद्दसि-दिणम्मि पुव्वं च तत्थ देवसियं । इय जोगसत्तअत्थे, भणियं सिरिहेमसूरीहिं
॥१८९ ॥ चउम्मास-पडिक्कमणं, पक्खिय-दिवसम्मि चउविहे संघे। . संदेहविसोसहिए, भणियं जिणवल्लहेहिं च
॥१९०॥ पक्खस्स अट्ठमी खलु, मासस्स य पक्खियं मुणेयव् ।। तत्थ य चउद्दसी-तिय, भणियसिरिपुव्वसूरीहिं ॥१९१॥ अण्णं च जंबुद्दीव, प्पण्णत्ती चंदसूर-पण्णत्ती। भगवइ-अणुओगेसु य, अण्णत्थ वि अस्थि भणियमिणं ।। १९२ ॥ पनरस-दिणेहिं पक्खो, दोपक्खा मास बारमासद्दो । एवं कालपमाणं, न पव्वमाणं इमं होइ
॥ १९३ ॥ एयाए गणणाए, न हुंति पव्वाइं तिण्णि गुरुआई । पक्खो चउम्मासो वरिसो, जत्थेव पडिक्कमणं ॥ १९४॥
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