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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir योग और साधना लेकिन दूसरे दिन फिर वही बात महाजन ने अपने बेटे से कही कि, “जाओ बेटे आज फिर कमा कर लाओ, और इस बात का ध्यान रखना कि बिना कमाए मेरे पास वापिस नहीं लौटना ।" लड़का फिर माँ के पास पहुंचा और वहाँ पहुँचकर सारी बातें मां को बताई । माँ बोली, “अब मैं कहाँ से दं, मेरे पास जो कुछ जमा पैसे थे वो तो तुझे कल ही दे दिए थे, अब तो मेरे पास हैं ही नहीं।" लड़का बड़ा मायुस हुआ कि क्या करे । यांडा सोचकर अपनी बहन के पास गया । वहाँ जाकर उसे कुछ तसल्ली हुयी, क्योंकि कुछ कह सुनकर जैसे-तैसे आज भी उसे बीस रुपये मिल ही गए थे। उन रुपयों को लेकर वह शाम को पिताजी के सामने हाजिर हो गया । महाजन ने तो फिर वही बात कही कि, “जाओ सामने वाले कूले में डाल आओ । लड़का अनमने मन से उठा और सामने वाले कूड़े के पास जाकर खड़ा होकर सोचने लगा कि, यह क्या मजाक है । कहीं पिताजी का दिमाग बुढ़ापे में चल तो नहीं गया है । कल माताजी ने दे दिये थे, आज बड़ी मुश्किल से बहिन ने दिये हैं । और ये कह रहे हैं कि इनको भी कूओं में फेंक दूं। यह क्या पहेली है । मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा है । वह इतना सोच ही रहा था कि पीछे से महाजन जो उसकी तमाम गतिविधियों पर नजर रखे हुए था, ने कहा, "कि क्या बात है, बेटा देर किस बात की है। "डाल दो कूए में" लड़के ने पीछे मुड़कर एक बार पिताजी का तरफ देखा तथा उसके बाद उसने वे बीस रुपये कूए में डाल दिये । और गददी पर आकर बैठ गया। तीसरे दिन फिर वही बात महाजन ने बेटे से कही कि जाओ और शाम को तभी वापिस आना जब बुध कमा लो। लड़के को अपने पाँवों के नीचे से जमीन खिसकती सी नजर आयी, मरे से मन से वह पिताजी की निगाहों के सामने से हटने की गरज से, वह एक बन्द पड़ी दुकान के सामने आकर खड़ा हो गया और सोचने खगा कि अब कहाँ जाऊँ? सुबह के करीव दस बजे थे। उसकी समझ में तो कुछ आ ही नहीं रहा था कि वह क्या करे । जिसमे कि वह कुछ पैसा शाम तक कमा सके। पहली बार अपनी जिन्दगी में शायद उसे इस तरह से सोचना पड़ रहा था, और आज ही अपने जीवन में पहली बार उसने अपने मस्तिष्क पर बड़ता हुआ जोर साफ-साफ महसूस किया था । ग्यारह बजे के करीब उसे ख्याल आया कि इस प्रकार खड़े-खड़े तो कोई काम चलने वाला नहीं है। कहीं न कहीं कोई उपाय ढूंढ़ना ही पड़ेगा । जब For Private And Personal Use Only
SR No.020951
Book TitleYog aur Sadhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamdev Khandelval
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1986
Total Pages245
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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