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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achar इडा पिघला और सुषमणा नाड़ियों का अस्तित्व तथा प्रभाव १५३ अन्य कोई निजी वस्तु उसके हाथों में आ जाती है तब उस व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान की परिस्थितियां दृश्य बन कर उसके सामने आने लगती हैं ।" वह व्यक्ति कुछ तो दयालु स्वभाव का था ही, कुछ अभी घन्टे भर पहले चमत्कार देख ही चुका था। उसे पीटर की बातों पर विश्वास हो गया था। उसने पीटर हारकोस को इसी हालत में अपनी गाड़ी में, दूसरों की मदद से लिटाया और सीधे अपने घर ले गया। यहाँ से नई जिन्दगी शुरू हुई पीटर की। वह जब तक बिस्तर पर से ठीक होकर उठा, तब तक तो वह अमरीका के अखबारों में अपने चमत्कारों की वजह से सुखियों में आ चुका था। सबसे ज्यादा महत्व की बात यह थी कि उसके द्वारा बताई गई तमाम बातें सोफीसदी सत्य सिद्ध हो रही थीं। उसकी इस चमत्कारिक प्रसद्धि से जो उसे अकस्मात एक दुर्घटना के बाद मिली थी उसके पास मिलने के लिये इतने लोग आने लगे थे कि उन मेजबान सज्जन का तो सारा का सारा घर ही अस्त-व्यस्त हो गया। बाद में पीटर हारकौस की सुरक्षा के लिये भी इन्तजाम रखना पड़ा । क्योंकि उसे अपराधी जगत के लोग भी उतना ही चाह रहे थे, जितनी कि सरकारी गुप्तचर संस्थायें। कई गुप्तचर संस्थाओं ने उससे सरकार के लिये काम करने की कई बार पेशकश की। लेकिन उसने इसे परमात्मा का प्रसाद माना था इसलिये केवल सरकार के लिये ही इसका उपयोग किसी भी हालत में उसे उचित नहीं लगा लेकिन उसने आश्वासन दिया कि वह सरकारी संस्थाओं द्वारा लाई गई गुत्थियों को भी सुलझायेगा। एक बार कोई हत्यारा अच्छी तरह से जानकारी करके कि फलां घर में वह औरत आज अकेली है। घर में घुस गया, वहाँ उसने उस अकेली औरत को काबू में करके उसका गला घोंट कर हत्या कर दी। उसके बाद उसने सारे घर को फिर से व्यवस्थित किया, लाश को गुशलखाने में बन्द किया और जितना भी माल वहाँ मिला उसे लेकर वह रफूचक्कर हो गया। तीन दिन बाद, जब लाश की बदबू फैली, तब हत्या का पता चला। जब तक पुलिस वहाँ पहुँचती वहाँ बहुत से लोग आ जा चुके थे। कोई सुराग उन्हें मिल नहीं रहा था । बड़ी कठिन समस्या सामने थी, इस मामले में खोजी कुत्ते भी कुछ नहीं कर सके । बहुत सूक्ष्म जाँच के बाद उन्हें लाश के गले पर किसी पुराने गले कपड़े का बहुत पतला सा हिस्सा चिपका हुआ मिला.। उन्होंने उसे लाश पर से ले लिया लेकिन लगातार पन्द्रह दिन तक For Private And Personal Use Only
SR No.020951
Book TitleYog aur Sadhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamdev Khandelval
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1986
Total Pages245
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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