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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ १६ ] बिदुर के बादशाह जो बरीदिया कहलाते थे इनका मूल पुरुष क़ासिमबरीद बुरहानपुर के सुलतान मोहम्मशाह फ़ारूकी का गुलाम था। उसने सुलतान महमूद ब्राह्मणो के राज में सावा जी मरहटे को मार कर पाटन और जालने वगैरा परगनों को फतह किया और अड़सा कंधार तथा उदगिर के परगने जागीर में पाकर महमूदशाह से बदल गया और सन् ८९८ (सं० १५४९) के करीब बिदुर में बादशाह बन बैठा । १ कासिम बरीद २ अमीर अली बरीद कासिम का बेटा ३ अली बरीद ४५ साल ... ९२२ १५७३ ४ इबराहीम बरीदशाह अली बरीद का बेटा७ साल ९६७ १६१६ ५ कासिम बरीदशाह ३ साल ... ९७३ १६२२ ६ कासिम बरीद का बेटा मिरज़ा अली ... ९७६ १६२५ ७ अमीर बरीद मिरज़ा अली को कैद करके अमीर १०१६ १६६४ अमीर बरीद से १०१८ (सं० १६६६) में प्रादिल पौर निजामशाह ने किले और मुल्क छीन कर । आधा प्राधा राज्य बाँट लिया। For Private and Personal Use Only
SR No.020950
Book TitleYavanraj Vanshavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Kayastha
PublisherIndian Press Prayag
Publication Year
Total Pages43
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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