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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ १७ ] बराड़ के बादशाह जो इमादुलमुल्क कहलाते थे इनका मूल पुरुष फ़तहउल्लाह इमादुलमुल्क बीजानगर के हिंदुओं में से था, जो बचपन में पकड़ा जाकर बराड़के सेनापति खानजहाँका गुलाम बनाया गया था। उसके मरे पीछे मोहम्मद शाह ब्राह्मणी के गुलाम में घुसकर बादशाह का कृपापात्र हो गया। इमादुल मुल्क खिताब पाकर बराड़ का सेनापति हुआ और वहीं सन् ८९२ में बागी होकर बादशाह बन बैठा। १ इमादुल मुल्क २ अलाउद्दीन इमादुलमुल्क का बेटा ३ दरिया इमादुल मुल्क अलाउद्दीन का बेटा ४ बुरहान इमादशाह दरिया का बेटा ५ तफावलखां दक्खिनी बुरहान का गुलाम सन् ९८२ (१६४१) में इसको पकड़ कर मुरतिजा निज़ाम शाह. ने बराड़ को अहमदनगर में मिला लिया। मालवे के बादशाह मोलवे में पवारों का राज था । सन् ६३१ (संवत् १३२० ) में सुलतान शमसुद्दीन ने भेलसा और उज्जैन फ़तह करके महाकाल के मंदिर और राजा विक्रमाजीत की मूर्ति को तोड़ डाला, मगर उसके पीछे हिन्दुओं ने मालवा फिर ले लिया। तब सन् ७०४ For Private and Personal Use Only
SR No.020950
Book TitleYavanraj Vanshavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Kayastha
PublisherIndian Press Prayag
Publication Year
Total Pages43
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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