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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org [ २५ ] अली से शाहजहाँ बादशाह ने सन् १०४३ (संवत् १६८०) में अहमदनगर का बाक़ी मुल्क छोनकर अपनी अमलदारी में मिला लिया । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तैलिंग के बादशाह जो कुतुबशाही कहलाते थे इनका मूल पुरुष सुलतान कुली तुर्कमान जाति की शाखा बहारलू में से था । मोहम्मदशाह ब्राह्मणी के राज में वलायत से दक्खिन में आकर गुलामों में भरती हुआ और गोलकु' डे में जागीर पाकर तैलिंगदेश के बंदोबस्त पर गया और वहाँ यूसुफ़ बादिल शाह अहमदनिज़ाम शाह और इमादुलमुल्क की देखादेखी सन ९१८ में सुलतान महमूद से बागी होकर खुद मुखतार होगया और और . कुतुबशाह नाम रख कर बादशाही करने लगा । १ सुलतान कुली कुतुब शाह २ जमशेद कुतुब शाह सुलतान कुली का बेटा... ३ इब्राहीम कुतुब शाह सुलतान कुली का बेटा... ४ मोहम्मद कुली कुतुब शाह इब्राहीम का बेटा ... ... ५ सुलतान मोहम्मद कुतुब शाह मोहम्मद . कुली का भतीजा ... For Private and Personal Use Only ९१८१५६९ ९५० १६०० ९५७ १६०७ ९८९ १६३८ ६ अबदुल्लाह . कुतुबुलमुल्क .७ अबुल हसन ताना शाह अबदुल्ला का जमाई औरंगज़ेब बादशाह ने सन् १०९८ (सं० १७४४ ) में इसको क़ैद करके गोलकुंडा और हैदराबाद फ़तह कर लिया ।
SR No.020950
Book TitleYavanraj Vanshavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Kayastha
PublisherIndian Press Prayag
Publication Year
Total Pages43
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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