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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ १४ ] पाकर तैलिंग देश का तरफ़दार होगया । राजमहेंदरी वगैरा कई परगने जागीर में मिले। मोहम्मदशाह के पीछे उसके बेटे महमूदशाह का प्रधान मंत्री होकर राजका सारा काम करने लगा देवगढ़ दौलताबाद पोर जुनेर वगरैरा में फिर और जागीरें पाई। उसका बेटा अहमद निज़ामुलमुल्क, महमूदशाह ब्राह्मण से बागी होकर सन् ८९५ (सं० १५४६) में खुद मुखतार हो गया और अहमदनगर में जो उसीका बसाया हुआ था अपनी राजधानी कायम करके बादशाहो करने लगा। १ अहमदशाह निजामुलमुल्क ... ... ... ८९५ १५४६ २ बुरहान निजामशाह अहमद का बेटा ... ९१४ १५६५ ३ हुसेन निजामशाह बुरहान का बेटा ... ९६१ १६१ ४ मुरतिजा निजामशाह हुसेन का बेटा .... ९७२ १६२१ ५ मीरान हुसेन मुरतिज़ा का बेटो ... ... ९९६ १६४५ ६ इसमाइल निजामशाह दूसरे बुरहानशाह ... ... __ का बेटा, हुसेन का पाता ... ९९७ १६४६ ७ बुरहान निजामशाह दूसरा हुसेन का बेटा... ९९९ १६४८ ८ इब्राहीम निशामशाह दूसरे बुरहानशाह का बेटा, इसमाईल का भाई __... २००३ १६५१ ९ अहमद निजामशाह शाह ताहिर का बेटा ... १००३ १६५१ १० बहादुरशाह इब्राहीम निजामशाह का बेटा १००४ १६५२ ११ मुरतिजा निजामशाह शाहअली का बेटा, पहले बुरहानशाह का पाता ... १००७ १६५५ १२ अलीबुराहन निजामुल्मुल्क For Private and Personal Use Only
SR No.020950
Book TitleYavanraj Vanshavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Kayastha
PublisherIndian Press Prayag
Publication Year
Total Pages43
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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