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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यन्त्रराजी श्रीपैरोजभूपेन्द्रसर्वगपकः पृष्टो महेन्द्रप्रभुर्जातः सूरियरस्तदीयचरणाम्भोकभङ्ग घुता / सूरिश्रीमलयेन्दुना विरचिते सद्युतियन्त्रागमव्याख्याने विशद च यन्नघटनाध्यायो हितीयो गतः // इति श्रीयन्त्रराजागमे घटनाध्यायः समाप्तः / अब यन्त्ररचनाध्यायी व्याख्यायी / यन्वं प्रोक्तं षड्विधं यानवत्या 1. एक 1 हिर ची३१५ गई पतवंश 10 कैश्च / वेधाप्यैतत्सौम्ययाम्यप्रभेदात् सन्मित्वे मिश्रसंच परंच // 1 // व्याख्या पानवतेरेक 1 वित्रि 3 पल 5 षट्पति 1. असायपरिकल्पनया यग्वं पद्विधं प्रीती चतुर्भिरंशनवतेजनं न संभवतीति नोक एतदेव सौम्ययाम्यप्रमदात् धा स्यात् तमिश्रले मिथसंन पर यवं प्रौलम् / वृत्तव्यं कर्कटकेन पृष्ठे यन्त्रस्य निर्माय चतुर्दिशोळ्याः / प्राग्याम्यगाः कोष्ठगतास्ततश्च स्थाप्याः खनन्दप्रमितोन्नतांशाः // 2 // ' व्याख्या पूर्वोक्त युक्त्या घटितयन्त्रस्य कोष्ठकागारस्य पा. For Private And Personal Use Only
SR No.020948
Book TitleYantrarajo
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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