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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यन्त्ररानी सौम्यः शरो रामकरा वियञ्च 23 / / तत्रैव भं नागभुजास्त्रयोऽपि१.२८३ सौम्यः शरः शून्यरसाः खमेव 60 // 35 // मीने हरांशः कुकरास्त्रयोऽथ 11 / 21 / 3 सौम्यः शरो भूमिगुणा नभोऽत्र 31 / / / तव में वन्दियमास्त्रिधाच्यो 11 / 23 / 13 याम्यः शरो नन्दलवाः खवेदाः 6 / 4. // 36 // इमानि भान्यायनकर्मशुद्धान्येषु दिवाणा 52 विकला अपि स्युः। यन्त्रोपयोगीनि मयोदितानि नक्षत्रगोले बहुलानि तानि // 37 // नक्षत्रगोले त्वनयव रीत्या रहस्यमेतद्यवनागमस्य / हकर्मशद्धानि विधाय भानि यन्चे निवेश्यानि गुरूपदेशात् // 38 // एषां व्याख्या शकमतेन नक्षत्रगोले नक्षत्राणां हाविंशत्यधिकसहस्र 8022 मुक्कमस्ति तन्मध्ये ग्रन्थकारण यावनं नक्षत्रगोलं सविस्तरं सम्यग्बुद्ध्वात्र यन्त्रोपयोगीनि हात्रि For Private And Personal Use Only
SR No.020948
Book TitleYantrarajo
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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