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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मसयेन्दुरितटीकासहितः / 11. रापरपम् / संवत् 1515 प्राविमगुक 15 गरी दिने पर रातिसमये सारानी रवियुको साधितो रविः // 21281. गति: 1828 मुकः // 183 // * गतिवा 24142 र बमे माचितिजापरि हते मकरामनं चामतत्यधिक असे 10. चम्म' तत्र चिके छते शुकास्योदयपयाबानमा हवं मानमहत्त्वेऽष्टी कानाशास्तत्पूर्व चिन्हावाक्यष्ठभागे अपथिला मकराननं साप्यम् / तत्र नाता: 155 भागाः एवं आते प्रारी बन्यालम्न सायनं 12. उपविष्टम् एतच्छुक्रस्वाक्षसम्वन्ध्युदयाशं शनयुक्योरन्तर भागादि: सध्या सर्वित 3.. मनवशाइविशुक्रगतियोगेन 8 // 1. मलं ततो सखो दिनादिवासः // 3 // 17 यदि बम्बानी प्रास्ता गतकानी यदि बनादधिकतदा एयवासः गतं श१० मित्रादेवं 4505 पादियोध्य तत पाखिनशुक्रबादा सोमै घट्याइतघटी - .148 दु तकामये शनोदयो जात इति सि एक्मन्यत्रापि / अत्र बन्ने प मौमादिपञ्चकल्यास्तधानमार इटहनीष्टस्य बगस्य वास्तकाले गृहीत्वोडुभवोद्भतांशान् / धिष्ण्याननं नेषु निवेश विन्द्याकुजे परेऽभीष्टखगास्तलग्नम् // 6 // For Private And Personal Use Only
SR No.020948
Book TitleYantrarajo
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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