SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir অল্পী ut कार्यमित्यर्थः / अथ नियानयने उदाहरणम् / संवत् 1433 यदि 2. भोमे यन्त्रेण स्फटौ रविचन्ट्रो अरातिसमये साधितो सबिरसणीकः 1114143 भुतिः 58321 चन्द्र 11 // 20 // 26 भुक्ति: 832 / 6 रव्यंशे निरषभूजीपरि ते सति मकरानन कालवत्त मध्यरेखात: स्मृष्टचतुश्चत्वारिंशदधिकयतत्रयां 344 शेषु सम्न एवं चन्द्रांश निरक्षभूमोपरि से सति मकराननं पञ्चाशदधिकशतत्रयांशषु 350126 लग्न एवं रब्यशाः 24443 चन्द्रांशभ्य: 150 / 26 प्रतिता: बातमन्तरं 5 / 43 एतद हादशभिर्भो म तिथिम्याने शन्यं एतावता अमावास्या मततिधिः शेषादिनाटिकलं // 26 // . एलइनवशात्तहिन मित्रा 44 // 58 हिशोध्य जातं वैचामावास्याप्रमाणं घटी 18 पल 18 एवं सर्वत्राम्यानेसम्यम् / अथ नवनानयन सदाहरणम् / तिथ्यानयने पूर्व ये चन्द्रायाः 35.126 पानीता: सन्ति ते विगुपिता जाता 1.51118 एते चत्वारिंशता 40 भत्ताः लभमखिन्यादिगतनक्षत्राणि 26 शेषमस्यैव गतं 11418 ससी दि. नादि .16 // 28 एतहतवधात्तहिममियात् 44158 कि. शोध्य जातं चैत्रामावानायां उत्तराभाद्रपदा नषठी 128128 प्रमाण मातं एवं सर्वच / योगानन्य सदाहरणम् / पूर्वानीताः सूयासा: 344143 चन्द्रांशाः 25.0 / 26 समयीयोंगे 1858 अन पक्राधिकरवात् चत्रांशान अपा For Private And Personal Use Only
SR No.020948
Book TitleYantrarajo
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy