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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यन्त्ररावी उपरि विशनि 30 युतं दिया परमदिनं धयादि 34 / 34134 एवं चिंशदवाशान् वारदायाति पचतोऽग्रतोऽसारं करी. ति एवं सर्वत्र / . अथ परमदिनाहियुवायानयनमा / *हीनं खरामैः 30 परमं दिनं च शेषं नगघ्र गुणितं च षष्ट्या 60 / भक्तं चिगोवाहुभि 223 रङ्गलादि छाया स्फुटा स्याहिषु वयस्य // 27 // पस्य व्याख्या उदाहरणनैव आया यथा परमदिन 34 / 3434 खरामै 30 हीनं शेषं 4 / 34.34 सप्तगुणं 31 / 1158 कक्षा पिहः 1821158 कपिसभागारा 283 विषुवकाया 6133 कलापिरहशेषं 258 अनया युक्त्या शयानयन कार्यम्। अभूगपुरे वरे गणकचकचूडामणिः कृती नृपतिसंस्तुतो मदनसूरिनामा गुरुः / * पोपपत्तिः। पत्र दिखनागमयंगगुपयोगेन विषुवती गुणिता परमं पलाम कचरं - 21 वि - H x + 6 x + 6 x 4 + खस्यान्तान 42 284 283 ततपश्चम / . चे x 6. For Private And Personal Use Only
SR No.020948
Book TitleYantrarajo
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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