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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्री व्यवहार सूत्रम् दशम उद्देशकः १६९९ (B) www.kobatirth.org य। छम्मासिया उक्कोसिया १ चाउमासिया मज्झिमिया २ सत्त राइंदिया जहन्ना ३ ॥ १६ ॥ अस्य सम्बन्धमाह - तुल्ला उ भूमिसंखा, ठिया व ठावेंति ते इमे होंति । पडिवक्खतो व सुत्तं, परियाए दीह हस्से य ॥ ४६८३॥ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तुल्या भूमिसङ्ख्या शैक्षकाणामिति कृत्वा । अथवा पूर्वसूत्रे स्थविरा उक्ताः, च स्वयं स्थिता अन्यान् स्थापयन्ति ते चाप्येवं स्थाप्यमाना इमे वक्ष्यमाणा भवन्तीति तत्प्रतिपादनार्थमिदं सूत्रम् । अथवा प्रतिपक्षत इदं सूत्रमापतितम् । तद्यथा - पूर्वसूत्रे स्थविरा:, तेषां च प्रतिपक्षा: शैक्षाः । यदि वा स्थविराणां दीर्घः पर्यायः, शैक्षकाणां शैक्षकत्वेन ह्रस्व इति स्थविरसूत्रानन्तरं शैक्षकसूत्रम् ॥ ४५८३॥ अस्याक्षरगमनिका प्राग्वत् सम्प्रति शैक्षकाणां यद् वक्तव्यं तत् सूचनाय द्वारगाथामाहसेहस्स तिभूमीतो १, दुविहा परिणामगा दुवे जड्डा ३ । पत्त जहंते संभुंजणा य भूमित्तियविवेगो ॥ ४५८४॥ For Private And Personal ***** सूत्र १५-१६ गाथा ४५७८-४५८४ स्थविरभूमिशैक्षभूम्यौ | १६९९ (B)
SR No.020939
Book TitleVyavahar Sutram Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMunichandrasuri
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2010
Total Pages512
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vyavahara
File Size13 MB
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