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श्री
व्यवहार
सूत्रम्
दशम
उद्देशकः
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एवं खलु जवमज्झचंदपडिमा अहासुत्तं जाव आणाए अणुपार्लिया भवइ ॥ १ ॥ वइरमज्झं णं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स निंच्चं मासं वोसट्टकाए चियत्तदेहे 15 जे केइ परीसहोवसग्गा समुप्पजेज्जा जाव अहियासेज्जा ।
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वइम णं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स,
बहुलपक्खस्स पाडिवए से कप्पड़ पन्नरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तर, पन्नरस पाणस्स जाव एलुयं विक्खंभइत्ता दलयइ एवं से कप्पड़ पडिग्गाहित्तए ।
बिइयाए से कप्पड़ चउद्दस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, चउद्दस पाणस्स । तइयाए से कप्पड़ तेरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, तेरस पाणस्स । चउत्थीए से कप्पड़ बारस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, बारस पाणस्स । पंचमीए से कप्पइ एगारस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, एगारस पाणस्स । छट्टीए से कप्पइ दस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, दस पाणस्स । सत्तमी से कप्पइ नव दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, नव पाणस्स ।
१. ० लित्ता श्यु ॥ २. निच्चं नाति श्यु. ॥
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सूत्र १-२
यवमध्य
वज्रमध्यप्रतिमे
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