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श्री
व्यवहार
सूत्रम्
पाणस्स, सव्वेहिं दुप्पयचउप्पयाइएहिं आहार-कंखीहि सत्तेहिं पडिणियत्तेहिं, अन्नायउंछं सुद्धोवहडं निजूहित्ता बहवे समण जाव वणीमगा।
कप्पड़ से एगस्स भुंजमाणस्स पडिग्गाहेत्तए नो दोण्हं, नो तिण्हं, नो चउण्हं, नो दशम पंचण्हं। नो गुव्विणीए, नो बालवच्छाए, नो दारगं पेजमाणीए, नो अंतो एलुयस्स उद्देशकः || दो वि पाए साहट्ट दलमाणीए, नो बाहिं एलुयस्स दोवि पाए साहट्ट दलमाणीए। १४८६ (A) अह पुण एवं जाणेज्जा-एगं पायं अंतो किच्चा, एगं पायं बाहिं किच्चा एलुयं */ विक्खम्भइत्ता दलयइ, एवं से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।
बिइयाए से कप्पइ दोण्णि दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, दोण्णि पाणस्स। तइयाए से कप्पइ तिण्णि दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, तिण्णि पाणस्स। चउत्थीए से कप्पइ चउ दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, चउ पाणस्स। पंचमीए से कप्पड़ पंच दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, पंच पाणस्स। छट्ठीए से कप्पइ छ दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, छ पाणस्स। सत्तमीए से कप्पइ सत्त दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, सत्त पाणस्स।
सूत्र
१-२
यवमध्यवज्रमध्यप्रतिमे
|१४८६ (A)
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