________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्री व्यवहार
सूत्रम् नवम
उद्देशकः १४५१ (B)
सागारियस्स गंधियसाला निस्साहरणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए ॥ ३० ॥
सागारियस्स सोडियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए ॥३१॥
सागारियस्स सोंडियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए ॥ ३२ ॥
सम्प्रति चक्रिकादिशब्दव्याख्यानार्थमाहतेल्लिय गोलिय लोणिय, दोसिय सुत्तिय य बोहिकप्पासे । गंधिय-सोंडियसाला, जा अन्ना एवमादीओ ॥ ३७०५ ॥
चक्रिका नाम-तैलिका:-तैलविक्रयकारिणः। एवं गोलिका लावणिका दौष्यिकाः सौत्रिका: बोधिकाः कार्पासाः गान्धिकशाला शौण्डिकशाला अन्या अपि च या एवमादिकाः, [तत्र या] गन्धप्रधाना सा गान्धिकशालेत्युच्यते ॥ ३७०६ ॥
| सूत्र १९-३२
गाथा ३७०४-३७०५ साधारणाउसाधाणवक्रयप्रयुक्तयोर्विधिः
|१४५१ (B)
For Private and Personal Use Only