________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir व्याख्यापतिः // 932 // पण एक आहारक छ, अथवा एक अनाहारक छे.-इत्यादि आठ भांगा अहीं कहेवा. [प्र०] हे भगवान् ! शुं ते उत्पलना जीवो सर्वविरति छे, अविरति छे के विरताविरत (देशविरति) छे ? [उ.] हे गौतम ! ते सर्वविरति नथी, विरताविरत (देशविरत) नथी, पण |एक जीव अविरति छ, अथवा अनेक जीवो अविरति छे. [प्र०] हे भगवन् ! ते उत्पलना जीवो शुं सक्रिय छे के अक्रिय छ ? [उ.] ११शतके हे गौतम ! तेओ अक्रिय नथी पण तेमांनो एक जीव सक्रिय छे अथवा अनेक जीवो सक्रिय छे. [प्र.] हे भगवन् ! शु ते उत्पलनाउदेश जीवो सात प्रकारे कर्मना बंधक छे के आठ प्रकारे कर्मना बंधक छ / [उ०] हे गौतम ! ते जीवो सात प्रकारे कर्मना बंधक I4 // 9320 अथवा आठ प्रकारे बंधक छे. अहीं आठ भांगा कहेवा. [प्र.) हे भगवन् / शुते (उत्पलना) जीरो आहारसंज्ञाना उपयोगवाळा, भयसंज्ञाना उपयोगवाळा, मैथुनसंज्ञाना उपयोगवाळा, के परिग्रहसंज्ञाना उपयोगवाळा छ। [उ.] हे गौतम ! तेओ आहारसंज्ञाना उपयोगवाळा छे-इत्यादि पंशी भांगा कडेवा. तेणं भंते ! जीवा किं कोहकसाई माणकसाई मायाकसाई लोभकसाई ?, असीती भंगा 22 / ते णं भंते! जोवा किं इत्थीवेदगा पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगा?, गोयमानो इस्थिवेदगा नो पुरिसवेदगा नपुंसगवेदए वा नपुंसगवेदगा वा 23 ते णं भंते ! जीवा किं इत्थीवेदबंधगा परिसवेदबंधगा नपुंसगवेदबंधगा?, गोयमा। इथिवेदवंधए वा पुरिमवेदबंधए वा नपुंसगवेयबंधए बा छब्बीसं भंगा 24 / ते णं भंते ! जीवा किं सन्नी असन्नी?, गोयम ! नो सन्नी अमन्त्री वा असन्निणो वा 5 ते णं भंते ! जीवा किं मइंदिया अणिदिया?, गोयमा ! नो अणिंदिया, | सईदिए वा मई दिया वा 26 / -%A4 + For Private and Personal use only