________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir १०तके व्याख्या प्राप्तिः // 921 // उदेश // 921 // सेसं तं चेव एवं जाय वेसमणस्स, नवरं विमाणाई जहा तइयसए / ईसाणस्स भंते ! पुच्छा, अजो! अह अग्गमाहिसी पन्नत्ता, संजहा-कण्हा कण्हराई रामा रामरक्खिया वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा, नत्थ णं एग| मेगाप, सेसं जहा मकस्स / ईसाणस्स ण भंते! देविंदम्स मोमस्म महारपणो कति अग्गमहिसीओ!, पुच्छा, अजो। चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-पुढवी रायी रयणी विज्जू, मत्था सेसं जहा सकस्म लोगपालोणं, एवं जाव वरुणस्स, नवरं विमाणा जहा चउत्थसए, सेमं तं चेव जाब नो चेव णं मेहुणवत्तियं / सेवं भंते! | सेवं भंतत्ति जाव विहरह।।(सूत्रं 406) / -- (म०] हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र मौधर्म देवलोकमां सौधर्मावतंसक विमानमा मुधर्मा मभाने विषे अने शक्र नामे सिंहा. | सनमां बेसी ते त्रुटिक (देवीओना समूह) साथे भोग भोगववा समर्थ के ? [उ०] हे आर्य ! चाकी सर्व चमरेन्द्रनी पेठे जाण, पर न्तु विशेष ए छ के तेनो परिवार तृतीयशतकना प्रथम उद्देशकमां कह्या प्रमाणे जाणवो. [प्र०] हे भगवन ! देवेन्द्र देवगज शकना (लोकपाल) सोम नामे महाराजाने केटली पट्टराणीओ कही छे ? [उ०] हे आर्य / तेने चार पट्टराणीओ कही , ते आ प्रमाणेरोहिणी, मदना, चित्रा अने सोमा. तेमां एक एक देवीनो परिवार वगेरे चमरेन्द्रना लोकपालोनी पेठे जाणवो; परन्तु विशेष ए के के स्वयंप्रभ नामे विमानमां, सुधर्मा सभामा अने सोम नामना सिंहासनमा बेसीने मैथुननिमित्ते देवीओनी साथे भोग भोगववा समर्थ नधी-इत्यादि सर्व पूर्ववत् जाणवू.ए प्रमाणे यावद् वैश्रमण सुधी जाणचे, परन्तु विशेष ए के तेमना विमानो तृतीयशतकमा कह्या प्रमाणे कहवा. [10] हे भगवन् ! ईशानेन्द्रने केटली पट्टराणीओ कही हे ? [उ०] हे आर्य ! तेने आठ पट्टराणीओ कही छे, For Private and Personal Use Only