________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir HTA . 1917 // सुरूवस्स णं भंते! भूईदस्स रन्नो पुच्छा, अज्जोचत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-रूववती बहुरूवा सुरूवा सुभगा, तस्थ णं एगमेगाए सेसं जहा कालस्स,एवं पडिरूवस्सवि। पुन्न भद्दस्स भंतेजक्खिदस्स पुच्छा व्याख्या | अजो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-पुन्ना बहुपुत्तिया उत्तमा तारया, नत्थ ण एगमेगाप सेसं जहा प्राप्ति कालस्स, एवं माणिभद्दस्सवि। भीमस्स ण भंते! रक्खसिंदस्स पुच्छा, अज्जो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, 1917 // तंजहा-पउमा पउमावती कणगा रयणप्पभा. नस्थ णं एगमेगा सेसं जहा कालस्स / एवं महाभीमस्सवि / [प्र०] हे भगवन् ! भूतना इन्द्र अने भूतना राजा सुरूपने केटली पट्टराणीओ कही छे ? [उ०] हे आर्य ! तेने चार पट्टराणीओ &कही , ते आ प्रमाणे-रूपवती, बहुरूपा, सुरूपा, अने सुभगा. तेमा एक एक देवीनो परिवार वगेरे कालेन्द्रनी पेठे जाणवू. अने |एज प्रमणे प्रतिरूपेन्द्र संबंधे पण जाणवू. [प्र०] हे भगवान् ! यक्षना इन्द्र पूर्णभद्रने केटली पट्टराणीओ कही के ? [उ०] हे आर्य ! तेने चार पट्टराणीओ कही, ते आ प्रमाणे-पूर्णा, बहुपुत्रिका, उत्तमा अने तारका. तेमा एक एक देवीनो परिवार वगेरे कालेन्द्रनी तापेठे जाणवू, अने ए प्रमाणे माणिभद्र संवन्धे पण जाणवू. [प्र०] हे भगवन् ! राक्षसना इंद्र भीमने केटली पट्टराणीओ कही है। [10] हे आर्य! तेने चार पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणे- पद्मा, पद्मावती, कनका अने रत्नप्रभा. तेमां एक एक देवीनो परिवार | वगेरे सर्व कालेन्द्रनी पेठे जाणवू. ए प्रमाणे महाभीमेन्द्रसंबन्धे पण जाणवू. किन्नरस्म णं भंते ! पुच्छा अजो! चत्तारि अग्गमहिमीओ पन्नताओ, तजहा-बडेंसा केतुमती रतिसेणा रहप्पियातत्थ णं सेसं तं चेव, गवं किंपुरिसस्सवि / सप्पुरिसम्म णं पुच्छा अज्जो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, Ke+C+ For Private and Personal Use Only