________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir उमेशा प्राशि // 9. यस्स य अंतरा एत्य गं कब्बडए नाम वाए संमुच्छह जेणं आसस्स धावमाणस्स खुखुत्ति करेइ // (मू० 102) प्र०] हे भगवन् ! ज्यारे घोडो दोडतो होय त्यारे ते 'खु खु' शब्द केम करे ? [उ०] हे गौतम ! ज्यारे घोडो दोडतो 8|१०वके द होय छे, त्यारे हृदय अने यकृत् (लीव्हर)-नी बच्चे कर्कटनामे वायु उत्पन्न थाय छे, अने तेथी घोडो दोडतो होय छे त्यारे ते 'खुद खु' शब्द करे छे, // 42 // // 901 // - अह भंते ! आसहस्सामोसइस्सोमो चिट्ठिस्सामो निसिहस्सामो तुयहिस्सामो आमंतणि आणवणी जायणि तह पुच्छणी य पण्णवणी / पञ्चक्रवाणी भासा भासा इच्छाणुलोमा य // 1 // अणभिग्गहिया भासा भासा यह अभिग्गहमि बोद्धव्वा / संसयकरणी भासा वोयडमव्वोयडा चेव // 2 // पन्नवणी णं एसा न एसा, भासा 18. मोसा', हंता गोयमा। आसइस्सामोतं चेव जावन एसा भासा मोसा। सेवं भंते! सेवं भतेत्ति / / (सूत्रं 403) / दसमे सए तईओ उद्देमो // 1-3 // प्र०] हे भगवन् ! अमे आश्रय करीधं, शयन करीधं, उभा रहीशुं, बेसीशु, (पथारीमा) आळोटशु इत्यादि भाषा "1 आमंत्रणी, 2 आज्ञापनी, 3 याचनी, 4 प्रच्छनी, प्रज्ञापनी, 6 प्रत्याख्यानी, इच्छानुलोमा 8 अनभिगृहीत, 9 अभिगृहीत, 104 संशयकरणी. 11 व्याकृता, अने 12 अव्याकृता भाषा ने." तेमांनी आ प्रज्ञापनी भाषा कडेवाय ? अने ए भाषा मृथा (असत्य)न कहेवाय! [उ. हे गौतम! 'आश्रय करीशु'-इत्यादि भाषा पूर्ववत कडेवाय, पण मृषा भाषा न कहेवाय. हे भगवन् ! ते एमज छे, हे भगवन् ! ते एमज के. (एम कही भगवान् गौतम यावद् विहरे छे) // 403 // भगवत् मृधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीस्त्रना 10 मा शतकमां त्रीजा उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण थयो. For Private and Personal Use Only