________________ Shri Mahawan Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandir उद्देशक 3. 4-KA १०शतके माख्याप्राप्ति 897 // उद्देशा // 897 // रायगिहे जाव एवं वयासी-आइड्डीए ण भंते! देवे जाव चत्तारि पंच देवा वासंतराई बीतिकंते तेण परं | परिडीए ?, हंता गोयमा! आइड्डीए णं तं चेव, एवं अमुरकुमारेवि, नवरं असुरकुमारावासंतराई सेसं तं चेव, एवं एएणं कमेण जाव थणियकुमारे, एवं चाणमंतरे जोइसवेमाणिय जाव तेण परं परिड्डीए / अप्पड्ढीप ण भंते! देवे से महिड्ढीयस्स देवस्स मज्झमजझणं वीइवहजा, णो तिणढे समझे। समिट्टीए ण भंते ! देवे समड्ढीयस्स देवस्स मज्झमज्झेणं बीइवएज्जा?, णो तिणढे समढे, पमत्तं पुण बीइबइजा. से णं भंते! किं विमोहित्ता प र अविमोहित्ता पभू?, गोयमा ! विमोहेत्ता पभू, नो अविमोहेत्ता पंभू / से भंते! किं पुचि विमोहेत्ता पच्छा वीहवएज्जा पुर्दिव बीइवएत्ता पच्छा विमोहेजा, गोयमा ! पुचि विमोहेत्ता पच्छा वीइपएज्जा, णो पुचि वीइवइत्ता | पच्छा विमोहेजा। [प्र०] राजगृह नगरमा (भगवान् गौतम) यावत् आ प्रमाणे बोल्या के-हे भगवन् ! शुं देव पोतानी शक्तिवडे यावत् चार पांच देवावासोने उल्लंघन करे अने त्यारपछी बीजानी शक्तिवडे उल्लंघन करे। [उ०] हा, गोतम! पोतानी शक्तिवडे चार पांच देवावा. सोनुं उल्लंघन करे-इत्यादि पूर्व प्रमाणे कहे, ए प्रमाणे असुरकुमार संबन्धे पण जाणवंपरन्तु ते आत्मशक्तिी असुरकुमारोना आवा| सोनू उल्लंघन करे. बाकी सर्व पूर्व प्रमाणे जाणवू. ए रीते आ अनुक्रमथी यावत् स्तनितकुमार, वानव्यंतर, ज्योतिष्क अने वैमानिक सुधी - - For Private and Personal Use Only