________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyarmandir जा सरीरेणं भंते! कतिविहे षन्नत्ते, एवं ओगाहणसंठाणं निरवसेसं भाणियब्वं जाब अप्पाबहुगंति / सेवं भत! व्याख्या- सेवं भंतेत्ति (सूत्रं. 395) दसमे सप पढमो उद्देसो सत्तमो॥१०॥१॥ १०शक्षके प्रज्ञप्ति [प्र०] हे भगवन् ! शरीरो केटला प्रकारना कह्या छ। [उ०] हे गौतम! शरीरो पांच प्रकारना कया छे, ते आ प्रमाणे- | उशार // 89 // : औदारिक, (2 वैक्रिय, 3 आहारक, 4 तैजस) यावत् 5 कार्मण. [प्र०] हे भगवन् ! औदारिक शरीर केटला प्रकारे का छे? ८९शा 131[उ०] हे गौतम! अहिं सर्व 'अवगाहनासंस्थान' पद अल्पबहुत्व सुधी कहे, हे भगवन् ! ते एमज छे, हे भगवन् ! ते एमज हे.18 हा(एम कही यावत् भगवान् गौतम विहरे छे) // 395 // ___ भगवत् सुधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीमत्रना 10 मा शतकमा प्रथम उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण थयो. उद्देशक 2. रायगिहे जाव एवं वयासी-संवुडस्स ण भंते ! अणगारस्म बीयीपंथे ठिच्चा पुरओ रूवाई निज्झायमाणस्स मग्गओ रूवाई अवयक्खमाणस्स पासओ रूवाई अवलोएमाणस्स उड्डे रूबाई ओलोएमाणस्स अहे रूवाई आलोएमाणस्स तस्स भंते ! किं ईरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कज्जह?, गोयमा! संवुडस्स ण अणगारस्स वीयीपंथे ठिचा जाब तस्स णं णो ईरियावहिया किरिया कज्जह संपराइया किरिया कजइ, से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ संवुड० जाव संपराइया किरिया कबइ 1, गोयमा! जस्स णं कोहमाणमायालोभा एवं जहा म. For Private and Personal Use Only